भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 नवम्बर, 2015) कैवलरी ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित कैवलरी स्मृति व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व के लम्बे कूटनीतिक इतिहास में देशों के बीच अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। यूरोप दो विश्व युद्धों का रणक्षेत्र था। प्रमुख यूरोपीय शक्तियों ने सदियों तक एक दूसरे से युद्ध लड़े। यद्यपि पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में, उन्होंने इतिहास से सबक ग्रहण किया और मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक समान बाजार और एक जैसी मुद्रा अपनाई। उन्होंने यूरोपीय संघ और यूरोपीय संसद का निर्माण किया। विश्व को बदल देने वाला एक सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार इंटरनेट, यूरोप में शांति लाभ का परिणाम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षेस की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को हुई थी। पिछले तीस वर्षों में, हमने यूरोपीय संघ की तर्ज पर अनेक व्यवस्थाएं और संस्थाएं बनाई हैं। यद्यपि यह व्यापक तौर पर माना जाता है कि अभी दक्षेस की पूरी क्षमता साकार होनी बाकी है। हम अपने मित्र बदल सकते हैं पर पड़ोसियों को नहीं। यह हमें निर्णय करना है कि हम निरंतर तनाव में जीना चाहते हैं या मिलकर शांति और सौहार्द का वातावरण पैदा करना है। हमें विगत के मतभेदों को छोड़कर साझे भविष्य की ओर उन्मुख होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा भारत-बांग्लादेश सम्बंध साझे भविष्य की ओर उन्मुखता में प्रगति का उत्तम उदाहरण है। आज भारत-बांग्लादेश संबंध 1974के बाद सबसे बेहतर हैं। वे आपसी हित, समानता तथा संप्रभुता के सम्मान पर आधारित हैं।
भारत और बांग्लादेश पड़ोसी ही नहीं हैं। हम दोनों राष्ट्र इतिहास, पंथ, संस्कृति, भाषा और अपनत्व के सूत्र में बंधे हैं। हमारा बढ़ता सहयोग पड़ोसियों के बीच साझी समृद्धि का प्रतिबिंब है। भारत बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सर्वोच्च महत्त्व देता है। हमारा सदैव यह विश्वास रहा है कि मजबूत, स्थिर और समृद्ध पड़ोसी हमारे हित में है। हमें अब एक नए भविष्य के निर्माण के लिए 1971के मुक्ति संग्राम की भावना को पुन: जाग्रत करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने यह कहा संपर्क घनिष्ठ सम्बन्ध का उत्प्रेरक है। हमने तीन बस सेवाएं आरंभ की हैं जो हमारे नागरिकों को अधिक आसानी से जोड़ेंगी। सड़क, रेल, नदियों, समुद्र, पारेषण लाइनों, पेट्रोलियम पाइप लाइनों और डिजीटल संयोजन द्वारा सम्पर्क बढ़ाना चाहिए। बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग भी घनिष्ठ होना चाहिए। भारत के माध्यम से बांग्लादेश से नेपाल और भूटान को तथा बांग्लादेश के माध्यम से मुख्य भूमि भारत से भारत के उत्तर पूर्व को वस्तुओं की आवाजाही के लिए परस्पर लाभकारी व्यवस्थाओं की योजना बनाई गई है। ये महत्त्वपूर्ण कदम हैं जो हमारे दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं के घनिष्ठ सहयोग और निरंतर बातचीत से संभव हुए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें और अधिक आर्थिक एकीकरण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दक्षिण एशिया को एकीकृत बाजार बनना चाहिए। विश्व बाजारों के लिए एक अबाध संयोजन लाइन तथा क्षेत्रीय मूल्य शृंखला निर्मित की जानी चाहिए। भारतीय और बांग्लादेशी कारोबारी पहले ही बने-बनाए वस्त्रों, वस्त्र निर्माण, चमड़े और दवा निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण, इसके इंजीनियरी सामान, पोत निर्माण और ऑटो अवयवों में ऐसे सहयोग की विशाल संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि बांग्लादेश में भारतीय निवेश से रोजगार पैदा होगा तथा प्रौद्योगिकी उन्नत होगी। इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनेगी और निर्यात बढ़ेगा। इसी वजह से दोनों सरकारें बांग्लादेश में भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए सहमत हो गए हैं। यह हमारे कारोबारी समुदायों के बीच ऐतिहासिक सम्पर्क बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे दोनों को लाभ होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि बांग्लादेश और भारत को विशाल उपभोक्ताओं के रूप में सस्ती और उसे स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने और इसे खरीदने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने के लिए विशाल अप्रयुक्त क्षमता मौजूद है। हमारी अर्थव्यवस्थाओं के अधिक समेकित होने तथा हमारी जनता के बेहतर ढंग से जुड़ने से हमारे राष्ट्र और समृद्ध होंगे। इससे भारत के पूर्वोत्तर के लिए नए आर्थिक द्वार भी खुल जाएंगे। इससे हमारे दोनों देश दक्षिण एशिया के साथ एकीकृत हो जाएंगे तथा गतिशील पूरब से जुड़ जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत-बांग्लादेश के संबंध सदैव दक्षिण एशियाई इतिहास के अध्यायों में विशेष और अनूठे रहेंगे। हमारे रिश्तों में तीव्र प्रगति आरंभ हो चुकी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले दिनों में गरीबी उन्मूलन, विकास वृद्धि, व्यापार और निवेश प्रोत्साहन तथा आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरवाद की ताकतों से मुकाबले के लिए सहयोग में उल्लेखनीय तेजी आएगी।
यह विज्ञप्ति 1950 बजे जारी की गई।