भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (19 मई, 2017) भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, शिवपुर, पश्चिम बंगाल में एकीकृत जैव-सौर-पवन माइक्रोग्रिड केंद्र तथा जल और पर्यावरण अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर,राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान की इन पहलों का उद्घाटन करके प्रसन्नता हुई है। भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान देश का एक ऐतिहासिक संस्थान है और कुछ शुरुआती उच्च शिक्षा केंद्रों में शामिल है। अपनी स्थापना के बाद से यह प्रतिष्ठित संस्थान सिविल और मकैनिकल इंजीनियरी के क्षेत्र में अत्यंत उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज उद्घाटित एकीकृत जैव-सौर-पवन माइक्रोग्रिड केंद्र तथा जल और पर्यावरण अनुसंधान केंद्र सामाजिक आर्थिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। ऐसे केंद्र समय की आवश्यकता हैं क्योंकि संसाधन सततता और पर्यावरणीय संरक्षण प्रमुख वैश्विक मुद्दे बन चुके हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में उद्योग, घरेलू आदि जैसे अनेक उपभोक्ता केंद्रों की विद्युत की बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ ऊर्जा उत्पादन क्षमता के बढ़ने को ऊर्जा उपलब्धता अनिश्चित हो गई है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग करते हुए, विद्युत प्रणाली के एक सूक्ष्म प्रबंधन से संस्थाओं और उद्योग जैसे अधिक खपत वाले स्थानों की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
भारतीय इंजीनियरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान का एकीकृत जैव-सौर-पवन माइक्रोग्रिड केंद्र सतत विकास चक्र की एक धुरी है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि बिजली जनसाधारण को तथा पेयजल मनुष्य और पशुओं के लिए उपलब्ध हो। इसके लिए हमारे ज्ञान और विशेषज्ञता को दैनिक जीवन की समस्याओं के व्यवहारिक समाधान ढूंढने के लिए कार्यान्वित करना होगा। इस संदर्भ में, उन्होंने राष्ट्रपति भवन में वार्षिक नवान्वेषण उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में बुनियादी नवान्वेषकों द्वारा प्रदर्शित नवाचारों की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस देश की विशाल जनसंख्या की पहुंच किसी भी प्रकार की विद्युत तक नहीं है तथापि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं। भारत पेरिस समझौता का हस्ताक्षरकर्ता है और हम वर्षों के दौरान कार्बन उत्सर्जन में एक विशेष दर में कमी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा पर बल देना चाहिए। हमें एक राष्ट्र के रूप में ऐसी महत्वपूर्ण चुनौतियों के विकासशील समाधान जिन्हें हमारे जैसी विशाल जनसंख्या वाले विकासशील देश को आयात करना पड़ता है, के लिए और गंभीरता से कार्य करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं शताब्दी में जल तक पहुंच एक चुनौती है। भारत के अधिकांश गांवों की विशाल जनसंख्या को पेय जल उपलब्ध नहीं है। सुरक्षित पेय जल की मांग जनसंख्या के कई गुना वृद्धि होने के कारण तेजी से बढ़ रही है। इस समस्या का समाधान करने की आवश्यकता है।
यह विज्ञप्ति 1535 बजे जारी की गई।