भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (19 अगस्त, 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में पांचवीं बरलोग ग्लोबल ट्रस्ट इनिसियेटिव कार्यशाला 2013 का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला बरलोग ग्लोबल ट्रस्ट इनिसियेटिव के सहयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित की जाती है।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि निर्धनों तथा जरूरतमंदों की भोजन तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बहुत से देशों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपनी विकास प्रक्रिया में अधिक समावेशिता लाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गरीबी उन्मूलन, भोजन की अपर्याप्तता में कमी लाने, ग्रामीण रोजगार का सृजन तथा ग्रामीण आय में वृद्धि के आपस में जुड़े हुए लक्ष्यों को, खाद्य उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि करके प्राप्त किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि गेहूं की फफूंदी की बीमारी में कमी लाने के लिए गेहूं अनुसंधान निदेशालय तथा भारत के विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालय तथा संस्थान बरलोग ग्लोबल ट्रस्ट इनिसियेटिव के साथ निकट सहयोग से कार्य कर रहे हैं। ‘ड्यूरेबल रस्ट रेसिस्टेंस इन वीट’ परियोजना नामक इस पहल को विश्व भर के 22 अनुसंधान संस्थानों का सहयोग प्राप्त है।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. बरलोग के पहली बार भारत आगमन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के अवसर पर यह उचित है कि अगले कुछ दिनों में भारत द्वारा गेहूं की खेती की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकियों और कार्य नीतियों पर चर्चा करने के लिए गेहूं रोग-विज्ञानियों, प्रजनकों तथा अनुसंधानकर्ताओं का अब तक का सबसे बड़े सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का विश्वास है कि इस विचार-विमर्श से सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने बरलोग ग्लोबल ट्रस्ट इनिसियेटिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को इस कार्यशाला के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में श्री शरद पवार, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, सुश्री जीनी बरलोग, बरलोग ग्लोबल ट्रस्ट इनिसियेटिव की अध्यक्षा, डॉ. एस. अयप्पन, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा श्री आशीष बहुगुणा, सचिव कृषि मंत्रालय शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1925 बजे जारी की गई।