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राष्ट्रपति ने कहा, वैज्ञानिक अनुसंधान और विकासरत आत्मविश्वासी भारतीय विश्वविद्यालय और एजेंसियां शीघ्र विश्व के सर्वोच्च स्थान पर पहुंच जाएंगी

राष्ट्रपति भवन : 20.07.2016

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (20 जुलाई, 2016) राष्ट्रपति भवन में ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय तथा भारतीय शैक्षिक वरीयता और उत्कृष्टता केंद्र की ओर से विश्व शैक्षिक वरीयता में भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थितिपर एक रिपोर्ट प्राप्त की।

रिपोर्ट की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैः

- भारतीय संस्थानों ने क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स एशिया, 2016 में 17 देशों के सर्वोच्च 350 विश्वविद्यालयों में अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत के पांच संस्थान सर्वोच्च 50 में तथा 9 सर्वोच्च 100 में शामिल हैं। इन वरीयताओं के इतिहास में पहली बार भारत के सभी सर्वोच्च 10 संस्थानों ने एक सकारात्मक विकास दर्शाया है। इन संस्थानों में से 9 की अध्यक्षता कुलाध्यक्ष के रूप में माननीय राष्ट्रपति करते हैं तथा 10वां कलकता विश्वविद्यालय उनकी मातृसंस्था है।

- ब्रिक्स वरीयता 2016 में भारत सर्वोच्च 10 में अपने स्थान पर कायम रहा है जबकि भारतीय विज्ञान संस्थान छठे स्थान पर है। भारत के आठ संस्थान सर्वोच्च 50 में है जो रूस के बराबर में हैं तथा ब्राजील से एक ज्यादा है। पिछले वर्ष वरीयताओं में 21 संस्थानों से बढ़कर आज भारत के 44 संस्थान क्यू एस ब्रिक्स वरीयता 2016के सर्वोच्च 250 में हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय बढ़त बनाकर पिछले वर्ष के 46 से आगे इस वर्ष 41वें स्थान पर पहुंच गया है।

- भारत विश्व में सर्वोच्च 10 अनुसंधान तैयार करने वाले राष्ट्रों में से है। डेढ़ दशक में भारत ने 1.4 मिलियन शोध पत्र तैयार किए हैं जिन्होंने 1.5 मिलियन प्रशंसा पत्र (प्रति पत्र 7.4 प्रशंसा पत्र) प्राप्त किए। इसी दौरान भारतीय वैज्ञानिक समुदाय ने 4.6 लाख पेटेंट आवेदन किए हैं। 2015 में भारतीय लेखकों ने कुल 129481 वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए थे।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने याद किया कि चार वर्ष पहले भारत के राष्ट्रपति का पद ग्रहण करते समय अपने स्वीकृति भाषण में उन्होंने शिक्षा को एक ऐसा तत्व बताया था जो भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान संविधान के संरक्षण, परिरक्षण और सुरक्षा के साथ-साथ उन्होंने एक निरंतर विषय के रूप में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का आग्रह किया है। एक पूर्व शिक्षक के रूप में वह आश्वस्त हैं कि यदि भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उच्च श्रेणी में स्थापित करना है तो इसे शिक्षा के क्षेत्र में यथासंभव सर्वोच्च स्थान हासिल करना चाहिए। भारत में उच्च शिक्षा का भौतिक ढांचा काफी बढ़ गया है। तथापि हमारे विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को अभी भी कम महत्व दिया जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पहले भी अधिकांश विश्वविद्यालय अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे परंतु उन्होंने वरीयता एजेंसियों को पर्याप्त आंकडे उपलब्ध नहीं करवाए थे। अब यह स्थिति बदल रही है। भारतीय विश्वविद्यालय विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षकों और विद्यार्थियों के आदान-प्रदान में पीछे है। राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि वह लगभग सभी राजकीय यात्राओं में कुलपतियों के शिष्टमंडल को साथ लेकर गए हैं। अपने समकक्षों के साथ उन कुलपतियों की शैक्षिक बातचीन इन यात्राओं का सबसे उपयोगी हिस्सा था।

राष्ट्रपति ने, अंत में भारतीय विश्वविद्यालयों के स्तर को उठाने के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वैज्ञानिक अनुसंधान और विकासरत बहुत से भारतीय संस्थान और एजेंसियां जो शीघ्र विश्व के सर्वोच्च स्थान पर पहुंच जाएंगी। उन्हें उस दिन की प्रतीक्षा है जब अन्य देशों के नेता इस संबंध में भारत को सर्वोच्च स्थान पर देखकर आश्चर्य करेंगे।

यह विज्ञप्ति1830 बजे जारी की गई।