भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (20 नवम्बर, 2016) मोहाली में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के 15वें वार्षिक समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि देश के युवाओं को शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशिक्षण देने और कुशल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी उच्च शिक्षा के विश्वविद्यालयों और संस्थानों की है। ऐसा न कर पाने पर, जनसांख्यिकीय विभाजन होगा जिसका परिणाम जनसांख्यिकीय आपदा होगी। भारत में 750 विश्वविद्यालय, 36000 कॉलेज और अनेक अन्य संस्थान हैं, परंतु शिक्षा के लिए अभी बहुत कुछ वांछनीय है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में स्थान पाना तो दूर बहुधा संस्थान अपने स्नातकों को पर्याप्त रूप से रोजगार भी नहीं दे पा रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय छात्र और हमारे युवा मन-मस्तिष्क, रचनात्मक और नवान्वेषी हैं। यह उच्च शिक्षा के संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे उनके आगे बढ़ने के लिए अनुकूल वातावरण की व्यवस्था करें। डॉ. हर गोविन्द और अन्य, जो भारत में आरंभिक शिक्षा पूरी कर विदेश के विश्वविद्यालयों/संस्थानों में नोबल विजेता बने, का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को हमारे छात्रों को उनकी सफलता के लिए सुचारु वातावरण प्रदान करना होगा।
राष्ट्रपति ने जोर देकर छात्रों से कहा कि वे रोजगार ढूंढ़ने वालों की अपेक्षा रोजगार देने वाले बनें। उन्होंने उम्मीद जताई कि 4500 स्टार्टअप्स का तीसरा सबसे बड़ा पारितंत्र वाला भारत शीघ्र ही 10,000 नए उद्यमों में संवर्धित होगा। उन्होंने युवाओं और स्नातकों से आग्रह किया कि वे समाज को वापस चुकता करने के उद्देश्य से, आगे जीवन में अपनी अभिलाषाओं के प्रति सामाजिक प्रतिबद्धता और सामाजिक जिम्मेदारी में योगदान दें। उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र के बिना भय अथवा सामान वाले नागरिक के रूप में वर्णित करते हुए, उन्होंने छात्रों से जोखिम उठाने, नवान्वेष करने, रचनात्मक होने और फर्क समझने और दर्शाने के लिए कहा।
यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई