भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (20 दिसम्बर, 2013) चेन्नै में ‘इंजीनियरी उन्नति और तीव्र राष्ट्र निर्माण’ विषय पर अठइसवीं भारतीय इंजीनियरी कांग्रेस का उद्घाटन किया। इंजीनियर्स संस्थान (भारत) द्वारा इस कांग्रेस का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी तात्कालिक चुनौती आर्थिक मंदी को दूर करना और अपनी विकास दर को पहले की तरह वापस आठ प्रतिशत से ऊंचे स्तर पर लाना है। प्रति व्यक्ति आय में निरंतर वृद्धि, मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं में बढ़ोतरी तथा एक युवा और ऊर्जावान कार्यबल जैसे सकारात्मक कारकों से यह विश्वास होता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुन: सशक्त होने पर हम द्रुत विकास कर सकेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा ‘‘वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में हमारे उद्यमियों की बढ़ती बिरादरी को बड़ी भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए हमें उनके प्रतिस्पर्द्धा के स्तर पर ध्यान देता होगा। मेरा पक्का विश्वास है कि हमें गुणवत्ता और उत्पादकता में अभी एक मील का पत्थर पार करना है। नवान्वेषी इंजीनियरी के जरिए लचीले स्वचलन, बहुस्थलीय उत्पादकता, आस्थगित सर्व उपयोगिता और प्रयोज्य फैक्ट्रियों के नए प्रचालन मॉडल आरंभ करने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण विकास की एक प्रमुख कार्यनीति है और उन्होंने भारतीय उद्योग से प्रमुख नवान्वेषण विचारों पर आगे कार्य करने के लिए विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण साझीदारी करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने देश के प्रत्येक इंजीनियरी और तकनीकी संस्थान से कुशल वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति का एक बड़ा भंडार विकसित करने में भारत की मदद करने का भरसक प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने इंजीनियरी संस्थान (भारत) से भी कहा कि वह उच्च गुणवत्ता पूर्ण इंजीनियरी शिक्षा और नवान्वेषी अनुसंधान के माध्यम से उद्योग और शैक्षिक समुदाय के बीच सहयोग के लिए इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी का उत्कृष्ट संस्थान स्थापित करने पर विचार करे।
यह विज्ञप्ति 1450 बजे जारी की गई।