भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (20 दिसम्बर 2013) कोच्चि में केरल पुलायर महासभा द्वारा श्री अय्यान कालि के 150वीं जन्म जयंती समरोहों के समापन कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि श्री अय्यान कालि एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने जातिवाद के विरुद्ध संघर्ष में तथा भारत के सभी लोगों के बीच समानता की प्राप्ति में अपना जीवन समर्पित किया। श्री अय्यान कालि तथा अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छूआछूत के विरुद्ध संघर्ष शुरू किया जिसे महात्मा गांधी के अधीन स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि अय्यान कालि का जीवन निरंतर संघर्ष था तथा उनकी कभी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी। परंतु उन्हें शिक्षा तथा महिलाओं के उत्थान की अहमियत मालूत थी। यह अय्यान कालि तथा श्री नारायण गुरु जैसे सुधारकों के कारण ही संभव हो पाया कि केरल के लोग आज के अपने प्रगतिशील नजरिए को विकसित कर पाए, जिसकी पूरे देश में प्रशंसा की जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी समुदायों का समावेशन तथा उनको समान अवसर प्रदान करना एक स्वतंत्र, प्रगतिशील आधुनिक भारत की आधारशिला है। सभी जातियों, धर्मों तथा क्षेत्रों के लोग हमारे देश के निर्माण में समान साझीदार हैं। उन्होंने सभी लोगों के लिए अवसर सुनिश्चित करने का आह्वान किया जिससे वे अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए अपनी प्रतिभा का पूर्ण विकास कर सकें।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर करने में अपनी ऊर्जा का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि हम ऐसे समाज की रचना सुनिश्चित करें जिसमें अल्पसंख्यक शांतिपूर्ण ढंग से रह सकें और उन्हें किसी भी प्रकार के अभाव का डर न रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें उन बाधाओं को दूर करने में लोगों की सहायता करनी चाहिए जिनका वे वर्षों से सामना कर रहे हैं तथा हमारे संविधान के तहत प्राप्त अधिकारों का लाभ उठाने के लिए हर तरह के अभाव, उपेक्षा अथवा अक्षमता के विरुद्ध लड़ना चाहिए। यह महात्मा गांधी और अय्यान काली जैसे उन नेताओं के प्रति हमारा दायित्व है, जिन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत सी बाधाओं और रुकावटों का सामना किया। अय्यान काली का साहस और दृढ़ निश्चय हमारे देश की बहुत सी भावी पीढ़ियों के लिए पे्ररणा बना रहेगा। जब तक समाज में पूर्वाग्रह और भेदभाव मौजूद रहेंगे, अय्यान कालि का जीवन और उनका संदेश प्रासंगिक बना रहेगा।
यह विज्ञप्ति 1950 बजे जारी की गई।