भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना श्रीमती मृणालिनी साराभाई के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
उनकी सुपुत्री सुश्री मल्लिका साराभाई को भेजे शोक संदेश में, राष्ट्रपति ने कहा है, ‘‘मुझे आपकी माता, श्रीमती मृणालिनी साराभाई के निधन के बारे में जानकर दु:ख हुआ है।
श्रीमीती मृणालिनी साराभाई ने एक प्रख्यात नृत्यांगना, नृत्य निर्देशक और शिक्षक के रूप में भारतीय शास्त्रीय संगीत पर एक अमिट छाप अंकित की। शांति निकेतन में शिक्षा प्राप्त और गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की शिष्या, श्रीमती मृणालिनी साराभाई भारत नाट्यम, कथकली और मोहिनीअट्टम में प्रवीण थीं। नृत्य ही उनका जीवन, उत्कंठा और अस्तित्व था। श्रीमती मृणालिनी साराभाई का मानना था कि साधारणजन को नृत्य, संगीत, कला और साहित्य की शक्ति का अनुभव करना चाहिए। वह एक कवयित्री और लेखिका तथा समर्पित कार्यकर्ता थीं जिन्होंने दहेज के कारण होने वाली मृत्यु, महिलाओं के उत्पीड़न और बाल श्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।
श्रीमती साराभाई ने अपनी माता और स्वतंत्रता सेनानी, अम्मू स्वामीनाथन तथा अपनी बहन लक्ष्मी सहगल, जो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिंद फौज की ‘रानी झांसी रेजीमंट’ की मुख्य कमांडर थीं, की संघर्ष के प्रति उत्साह का प्रदर्शन किया। वह अपने पति भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक, डॉ. विक्रम साराभाई के लिए एक प्रेरणा और सहयोगी भी थीं।
भारतीय शास्त्रीय नृत्य और कला के प्रति उनके अमूल्य योगदान को मान्यता देते हुए, राष्ट्र द्वारा श्रीमती साराभाई को 1965 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी मृत्यु ने सर्जनात्मकता और प्रदर्शन कला जगत में एक शून्य पैदा कर दिया है जिसे भरना कठिन है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य का विश्व भर में प्रसार करने का उनका अथक प्रयास सदैव याद रखा जाएगा।
कृपया मेरी हार्दिक शोक संवेदना स्वीकार करें और उसे अपने परिवार के अन्य सदस्यों तक पहुंचा दें। ईश्वर, आपको और आपके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और साहस प्रदान करे।’’
यह विज्ञप्ति 2130 बजे जारी की गई