भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 जून, 2013) त्रिपुरा के पलाताना में आयोजित समारोह में 726 मेगावाट गैस आधारित संयंत्र की प्रथम यूनिट राष्ट्र को समर्पित की।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति ने त्रिपुरा को प्रचुर प्राकृतिक गैस प्रदान की है। पर्वतों से घिरे, आवागमन के लिए दुर्गम तथा कठिन भू-भाग में ओएनजीसी-त्रिपुरा पावर कंपनी के इस विद्युत संयंत्र की स्थापना एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे यहां खोजी गई गैस के कारगर उपयोग का रास्ता प्रशस्त हो सकेगा। उन्होंने यह उम्मीद व्यक्त की कि इस विद्युत संयंत्र से इस क्षेत्र में विद्युत की कमी वाले राज्यों की जरूरतें पूरी होंगी तथा त्रिपुरा के औद्योगीकरण के अवसर खुलेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्युत परियोजना में न केवल पूर्वोत्तर में सबसे अधिक निवेश हो रहा है बल्कि यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन की स्वच्छ विकास व्यवस्था के तहत पंजीकृत विश्व की सबसे बड़ी परियोजना है। इससे भारत को एक मिलियन से अधिक कार्बन क्रेडिट प्राप्त होंगे।
राष्ट्रपति ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा बांग्लादेश सरकार को उनके सहयोग के लिए विशेष धन्यवाद दिया, जिससे यह परियोजना संभव हो सकी। उन्होंने भारत और बांग्लादेश के बीच विद्युत सेक्टर में और अधिक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह क्षण सभी भागीदारों के लिए बहुप्रतीक्षित एवं गौरव का क्षण है। उन्होंने इस महत्त्चपूर्ण कार्य से जुड़े लोगों के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में त्रिपुरा के राज्यपाल, श्री देवेन्द्र कुंवर, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री, श्री माणिक सरकार, केंद्रीय पैट्रोलियम एवं गैस मंत्री, डॉ. वीरप्पा मोइली, पैट्रोलिय एवं गैस राज्यमंत्री, श्रीमती पनाबाका लक्ष्मी तथा ओटीपीसी एवं ओएनजीसी कंपनी समूह के अध्यक्ष, श्री सुधीर वासुदेव भी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1410 बजे जारी की गई।