भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 जून, 2013) राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अगरतला के पांचवें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा मानव को संकीर्णता के बंधन से मुक्त करने का साधन है। यह हमारे क्षितिज का विस्तार करती है तथा हमारे मौलिक चिंतन को स्वरूप प्रदान करती है। विद्यार्थियों को महिलाओं की सुरक्षा, अधिकारों तथा कल्याण की लड़ाई में अग्रणी होना चाहिए। विश्वविद्यालयों को समसामयिक नैतिक चुनौतियों का सामना करने तथा यह सुनिश्चित करने में मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए कि वे मातृभूमि के प्रति प्रेम; कर्तव्यों का निर्वाह; सभी के प्रति करुणा; विविधता के प्रति सहिष्णुता; महिलाओं का सम्मान; जीवन में ईमानदारी; आचरण में आत्मनियंत्रण; कार्यों में जिम्मेदारी तथा अनुशासन जैसे नौ अनिवार्य सभ्यतागत मूल्यों का युवाओं के मस्तिष्कों में पूरी तरह समावेश हो।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर सीईआरएन के महानिदेशक प्रो. राल्फ डोयर होयर तथा सुप्रसिद्ध भारतीय भौतिक विज्ञानी प्रौ. बिकास सिन्हा को डी(साइंस) की मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान, अगरतला के खेल परिसर को भी राष्ट्र को समर्पित किया।
यह विज्ञप्ति 1740 बजे जारी की गई।