भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 नवंबर, 2014) यूपिया, अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अरुणाचल प्रदेश के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को विश्व स्तरीय इंजीनियरी संस्थानों में बदलने के लिए बहुत सी संयोजकताओं को स्थापित करने की जरूरत है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को अनुसंधान सहयोग तथा सर्वोत्तम परिपाटियों के आदान-प्रदान के लिए अन्य संस्थानों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना होगा। उन्हें उद्योगों के साथ संपर्कों के लिए और सक्रिय रूप से कार्य करना होगा। अधिकांश राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में उद्योग सहयोग प्रकोष्ठ हैं। इस प्रकोष्ठ को उद्योगों द्वारा पीठों की स्थापना के प्रायोजन, परियोजना मार्गदर्शन और पाठ्यक्रम निर्माण में उद्योगों के विशेषज्ञों की नियुक्ति; तथा विकास केन्द्र,प्रयोगशालाएं तथा अनुसंधान पार्कों की स्थापना जैसी संभावनाओं की तलाश की जानी है। हमारे देश को विनिर्माण केंद्र बनाने के लक्ष्य वाली ‘भारत में निर्माण’ पहल काफी हद तक इस शिक्षा-उद्योग सम्बन्धों की सुदृढ़ता पर निर्भर करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को अपने उन पूर्व छात्रों के साथ सम्पर्क करने के तंत्र निर्मित करने होंगे, जिनमें से बहुत से लोगों ने अपने पसंदीदा क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। उन्हें संचालन व्यवस्थाओं में शामिल किया जा सकता है अथवा विद्यार्थियों के कार्य तथा परियोजना परामर्श के लिए और पाठ्यक्रम निर्माण में प्रयोग किया जा सकता है।
यह विज्ञप्ति 1500 बजे जारी की गई।