भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 दिसम्बर, 2012) राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारेह में क्लासिकल तमिल के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किए।
92 वर्षीय प्रो. सी. गोविंदाराजनार को तमिल अध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तोल्काप्पियार पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो. गोविंदराजनार एक प्रख्यात पुरातत्व विज्ञानी हैं जिन्होंने पुंपुकार से वांसी तक के ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में 17 वर्ष तक क्षेत्रीय कार्य किया जिससे कन्नाकी मंदिर का पता लगाया जा सका। पुरस्कार में एक सम्मान पत्र, एक स्मृति चिह्न और 5 लाख की एकमुश्त नकद राशि शामिल है।
एक फ्रेंच नागरिक प्रो. फ्रेंकोयस ग्रोस ने वर्ष 2008-09 के लिए कुरल पिटम पुरस्कार प्राप्त किया। प्रो. ग्रोस ने तमिल के बहुत से प्राचीन ग्रंथों का फ्रेंच में अनुवाद किया है और वह अंतरराष्ट्रीय तमिल शोध एसोसियेशन के उपाध्यक्ष थे। इसमें एक सम्मान-पत्र, एक स्मृति चिह्न और एकमुश्त 5 लाख रुपए की नकद राशि शामिल है।
वर्ष 2008-09 के लिए, युवा विद्वान पुरस्कार तमिल अध्ययन में उत्कृष्टता प्रदर्शन के लिए डॉ. ए. लक्ष्मी दत्ताई, डॉ. एस. माधवन, डॉ. एम. रामाकृष्णन और डॉ. एस. सेंटामिझपावई को प्रदान किया गया। इसमें एक सम्मान पत्र एक स्मृति चिह्न और एक लाख रुपए की एकमुश्त नकद राशि शामिल है।
क्लासिकल तमिल राष्ट्रपति पुरस्कारों की स्थापना मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा क्लासिकल तमिल भाषा और साहित्य में उल्लेखनीय योगदान करने वाले विशिष्ट विद्वानों को उचित मान्यता और सम्मान प्रदान करने के लिए की गई है।
यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई