भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 फरवरी 2014) चेन्नै ट्रेड सेंटर, चेन्नै में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि वह बंदरगाह तथा पोतपरिवहन प्रशासन, संभारिकी तथा परिवहन, समुद्री पर्यावरणीय प्रबंधन, समुद्री जोखिम तथा प्रणाली सुरक्षा, समुद्री प्रशासन के कानून, नीति तथा सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय बेहतरीन परिपाटियों का अध्ययन करें तथा इन क्षेत्रों में अकादमिकों और पेशेवरों को प्रशिक्षण दें। उन्होंने इस विश्वविद्यालय से उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को भी सलाह दी कि वे अपने विश्वविद्यालय, समाज तथा देश के ऋण को न भूलें और उनका आह्वान किया कि वे इन तीनों की प्रगति के लिए प्रयास करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत का सौभाग्य है कि उसके पास 7500 कि.मी लंबे समुद्री तट हैं और देश का मात्रा के लिहाज से 95 प्रतिशत तथा मूल्य के लिहाज से 70 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। इसके बावजूद देश का केवल 10 प्रतिशत व्यापार भारतीय पोतों के द्वारा होता है और वैश्विक समुद्री कार्मिकों का प्रतिशत केवल 6 प्रतिशत है। भारत में निर्मित पोत और भी कम सामान ले जाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि, भारत को भविष्य में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना है तो उसे अच्छे समुद्री कार्मिकों को तैयार करने तथा अपनी पोत-निर्माण क्षमता में इजाफा करना होगा। पोत-निर्माण में ग्रामीण एवं शहरी दोनों इलाकों में काफी रोजगार सृजन की क्षमता है।