भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 फरवरी, 2017) राष्ट्रपति भवन में श्री नरेन्द्र मोदी, भारत के प्रधान मंत्री से ‘ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स, रिसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’ पुस्तक की प्रथम प्रति ग्रहण की। इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स, रिसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’ जनवरी, 2013 में नई दिल्ली में आयोजित सेमिनार ‘रिसेंट ट्रेंड्स इन ज्यूडिशियन रिफार्म्स, ए ग्लोबल पर्सपेक्टिव’ का निष्कर्ष है।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि दशकों पूर्व स्थापित हमारी न्यायिक प्रणाली में प्रमुख परिवर्तन जरूरी हैं। सुधार एक निरंतर प्रक्रिया है। यह रूक नहीं सकती। चलती रहनी चाहिए। प्रत्येक प्रणाली में रुकावटें आती हैं। निरंतर परिवर्तन होना चाहिए। न्यायमूर्ति दलबीर भंडारी ने न्यायिक सुधारों के विषय पर राष्ट्र की विचारशीलता को उद्बुध करने के लिए उपयोगी कार्य किया है। यही समय है कि प्रत्येक व्यक्ति को न्यायिक सुधारों पर ना केवल सोचना चाहिए बल्कि कार्य भी करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि पर्याप्त आधारभूत ढांचे के सुधार संभव नहीं हैं। राष्ट्रपति के रूप में अपने संपूर्ण कार्यकाल में इलाहाबाद उच्च न्यायालय, जो देश में सबसे बड़ा है, में 180 जजों के स्वीकृत पदों में से 50 से कम भरे गए। यदि उच्च न्यायपालिका की यह स्थिति है तो निचली न्यायपालिका की हालत की कल्पना की जा सकती है। राज्य और संघीय सरकार को अदालतों और जजों की आवश्यक सुविधाओं जैसे प्रमुख ढांचे के अभाव पर ध्यान देने के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए। देश में प्रतिभा की कमी नहीं है परंतु ऐसे मुद्दों पर ध्यान देने के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि इन मूल विषयों पर ध्यान दिया जाएगा।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों में भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री जे.एस.खेहर; केंद्रीय वित्त मंत्री, श्री अरुण जेटली; केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री, श्री रविशंकर प्रसाद; इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री दलबीर भंडारी और इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के उपाध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री विक्रमजीत सेन उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 2030 बजे जारी की गई।’