भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने महावीर जयंती के कुछ दिन पूर्व आज (22 अप्रैल, 2013) ‘महावीर दर्शन के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान’ विषय पर एक संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने मौजूदा समय के लिए अत्यंत प्रासंगिक विषय पर संगोष्ठी आयेजित करने के लिए अहिंसा विश्व भारती को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व के समक्ष बहुत सी चुनौतियां मौजूद हैं और हम उनके समाधान के उपाय ढूंढ़ रहे हैं, भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित दर्शन तथा उपदेश बहुत महत्त्व रखते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के उपदेश अभी भी बहुत समीचीन और प्रासंगिक हैं तथा समय आ गया है कि हम उनके संदेशों और उपदेशों को आज की समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के अपने प्रयासों में सबसे आगे रखें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान महावीर के दर्शन तथा उनके उपदेशों के सार्वभौमिक सत्य के कारण वे आज के विश्व पर भी उतने ही लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, युद्ध तथा आतंकवाद के द्वारा हिंसा, धार्मिक असहिष्णुता, तथा गरीबों का आर्थिक शोषण जैसी मौजूदा समस्याओं का समाधान भगवान महावीर के उपदेशों में मिल सकता है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि पर्यावरण के क्षरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के हृस ने आज पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है तथा भगवान महावीर के शतजीवनिकाय तथा अहिंसा जैसे सिद्धांत इस बढ़ते संकट के समाधान के लिए सार्थक उपाय हैं। उन्होंने आगे कहा कि भगवान महावीर के उपदेश आर्थिक विषमता को कम करने की जरूरत का समर्थन करते हैं।
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में केंद्रीय कोयला मंत्री, श्री श्रीप्रकाश जायसवाल भी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई