भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) के 66वें बैच के परिवीक्षाधीनों (2014) के एक समूह ने आज (22 अगस्त, 2016) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे उनकी प्रतिभा और शैक्षिक उत्कृष्टता प्रतिबिंबित होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्व का संग्रहण राष्ट्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व है। अधिकारियों का कार्य राजस्व संग्रहण में राष्ट्र की सहायता करना है ताकि सरकार राजस्व का उचित हिस्सा प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा में इतनी अल्पायु में उनके कंधों पर भारी जिम्मेदारी डाली जाएगी। यह अवसर किसी अन्य सेवा में विद्यमान नहीं है। उन्होंने यह याद रखने की सलाह दी जो कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कर संग्रहण के बारे में कहा था कि, कर संग्राहक को करदाता से उसी प्रकार कर वसूलना चाहिए जैसे मधुमक्खी पत्तियों को बिना छेड़े दक्षतापूर्वक फूल से मधु ग्रहण कर लेती है। उन्होंने परिवीक्षाधीनों से सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति का प्रयोग करने तथा अपना दायित्व कुशलतापूर्वक निभाने के लिए स्वयं को सदैव अद्यतन बनाए रखने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्षों के दौरान देश के वित्तीय ढांचे में विशाल परिवर्तन आया है। संसद द्वारा वस्तु और सेवा कर विधान का पारित होना हाल के समय में एक प्रमुख कर सुधार है। उन्होंने कहा कि इसका कार्यान्वयन अधिकारियों का दायित्व है।
वर्तमान में परिवीक्षाधीन राष्ट्रीय सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क तथा स्वापक अकादमी, फरीदाबाद में कार्य कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
यह विज्ञप्ति1925 बजे जारी की गई।