आईआरटीएस, आईआरपीएस, आईआरएएस, आईआरएसएसई, आईआरएसएस और आईआरएसईई के परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने आज (22 सितंबर, 2016) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अपने महान इतिहास के साथ भारतीय रेलवे ऐसे कुछ संस्थानों में से है जिसे राष्ट्र का संगठक कहा जा सकता है। यह 66,000किलोमीटर से ज्यादा के रेल नेटवर्क के साथ देश के कोने-कोने में रह रहे लोगों को जोड़ती है। रेलवे लोगों को जोड़ने तथा सामान के आवागमन का मुख्य स्रोत बना हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि परिवीक्षाधीनों को सदैव याद रखना चाहिए कि लोगों ने उनमें अगाध विश्वास प्रकट किया है। इसलिए उन्हें अपना दायित्व निष्ठा के साथ पूरा करना चाहिए तथा यात्रियों की सुरक्षा और समय की पाबंदी का ध्यान रखना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें नई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा क्योंकि विश्व तेजी से बदल रहा है। यद्यपि उन्हें इन चुनौतियों से निपटने के लिए नवान्वेषण की भावना, खुला दिमाग और सीखने की इच्छा रखनी चाहिए। राष्ट्र उनसे साहस के साथ चुनौतियों का सामना करने की उम्मीद करता है क्योंकि वे परिवर्तन के माध्यम हैं।
यह विज्ञप्ति 1550 बजे जारी की गई।