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राष्ट्रपति जी ने प्रशासकों तथा अकादमीशियनों से कहा कि वे नेमी तौर पर कार्य न करते हुए शिक्षण संस्थानों में नवान्वेषक बदलावों की शुरुआत करें।

राष्ट्रपति भवन : 22.10.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 अक्तूबर 2013) शिलांग में पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अब भारत में उच्च शिक्षा को नेमी तौर पर प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अब प्रशासकों तथा अकादमीशियनों में संस्थानों में नवान्वेषणी बदलावों को शुरू करने के प्रति अधिक तत्परता दिखाई देनी चाहिए। प्रमुख समस्याओं का तेजी से समाधान करना होगा। अकादमिक प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं में समुचित लचीलापन लाना होगा। प्रत्येक विश्वविद्यालय में, किसी विशेष विधा में प्रमुख विशेषज्ञता रखने वाले, मेधावी शिक्षकों की उपलब्धता वाले, तथा जिसमें उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में विकसित होने की क्षमता हो ऐसे किन्ही एक या दो विभागों को इसके लिए समुचित सहायता प्रदान करनी होगी। इस संदर्भ में उन्होंने पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक तथा रचनात्मक अध्ययन केन्द्र का उल्लेख किया जो लोगों की कलात्मक तथा सांस्कृतिक आकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में कार्यरत है। यह केन्द्र पूर्वोत्तर की समृद्ध विविधता की संरक्षा, हिफाजत तथा उसका संवर्धन करने के लिए स्थानीय समुदायों के स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग कर रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सहायता से यह इस क्षेत्र की समृद्ध विविधता के प्रदर्शन के लिए पूर्वोत्तर विविधता केन्द्र की स्थापना कर रहा है। उन्होंने प्राधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस विभाग को समयबद्ध आधार पर उत्कृष्टता केन्द्र में बदलने के लिए अपना सहयोग दें।

राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत से अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों के अनुसार भारत के विश्वविद्यालयों को विश्व के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में रैंक शुमार नही किया जाता। यह रैंक कतिपय मापदंडों पर दिया जाता है। हमारे विश्वविद्यालयों का स्तर इन मानदंडों से कही ऊपर है परंतु हमारे विश्वविद्यालय उच्च रैंक के लिए अपने पक्ष को समुचित रूप से रखने में सफल नहीं रहे हैं।

राष्ट्रपति ने यह उल्लेख करते हुए, कि किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा कोई नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थात डॉ सी वी रमन को तैयार किए हुए 80 वर्ष से अधिक का समय हो गया है, कहा कि डॉ. अमर्त्य सेन, डॉ. एस चंद्रशेखर तथा डॉ. हरगोविंद खुराना सभी भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातक हैं परंतु उन्हें अमरीकी विश्वविद्यालयों में कार्य करते हुए नोबल पुरस्कार मिले। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में हमारे पास सर्वोत्तम शिक्षक, विद्यार्थी तथा प्रतिभा मौजूद हैं परंतु हमारा समुचित समन्वय नहीं है। यदि हम सही समय पर सही कार्य करें तो हमें अपेक्षित उत्तर प्राप्त होगा। भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता का उदाहरण देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उसकी वित्तीय प्रयोगशाला को तब सहायता उपलब्ध कराई थी जब वह वित्त मंत्री थे और संस्थान के प्राधिकारियों ने कुछ ही दिनों पहले उन्हें बताया है कि हाल ही के एक फाइनांसियल टाइम्स सर्वेक्षण में भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता को 70 ऐसे वैश्विक बिजनेस स्कूलों में वित्त में प्रथम तथा अर्थशास्त्र में द्वितीय स्थान दिया गया है जो प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम चला रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोगों के सशक्तीकरण के केन्द्र के रूप में काम किया है। उन्होंने विद्यार्थियों में 1:1 के पुरुष महिला अनुपात के साथ लैंगिक समानता पर तथा इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि महिलाओं ने पुरुषों को औसत से पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के एक महत्वपूर्ण लक्ष्य को पूर्ण किया है।

राष्ट्रपति ने एक नवान्वेषण क्लब का उद्घाटन किया तथा विश्वविद्यालय में परंपरागत जड़ी-बूटियों से उपचार की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की पेटेंट प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

इस दीक्षांत समारोह में मेघालय के राज्यपाल, डॉ. के.के. पॉल, मेघालय के मुख्यमंत्री, डॉ मुकुल संगमा, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, प्रो. आन्द्रे बेटिले तथा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. पी. शुक्ल उपस्थित थे।

यह विज्ञप्ति 1420 बजे जारी की गई।