भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 नवंबर, 2013) पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर के नौवें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी संस्थानों को उत्कृष्टता की संस्कृति अपनानी चाहिए तथा सूचना और ज्ञान के वृहत प्रसार के लिए ई-कक्षाओं जैसे प्रौद्योगिकी समर्थित शिक्षण को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें उद्योग के साथ संबद्धता को मजबूत करना होगा ताकि पाठ्यचर्या और अनुसंधान पर उद्योग विशेषज्ञों से नियमित रूप से प्रतिक्रिया प्राप्त हो सके। उन्हें उद्योगों के रुझान के आधार पर अपने कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना चाहिए। प्रत्येक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान को स्थानीय उद्योग तथा उद्योग एसोसियेशनों के सहयोग से उद्योग सेल स्थापित करनी चाहिए, जो सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं, इन्टर्नशिप, संकाय आदान-प्रदान तथा कार्यशालाओं को विकसित करेंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में उच्चतर शिक्षण संस्थानों का अनुसंधान की ओर अभिमुखीकरण नहीं है जिसके कारण विश्व में सर्वोत्तम संस्थानों में उनका दर्जा ऊँचा नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थानों को ज्ञान के मोर्चों को चुनौती देने में सक्षम होना चाहिए तथा विभिन्न विधाओं में क्रांतिकारी योगदान देने में समर्थ होना चाहिए। उन्हें ऐसे समाधान ढूंढ़ने चाहिए जिनसे आम आदमी को बेहतर जीवन जीने में सहायता मिल सके। उन्हें ऊर्जा सुरक्षा से लेकर पर्यावरण के क्षरण, स्वच्छता, शहरीकरण, स्वास्थ्य सेवा तथा शिक्षा जैसे मुद्दों पर नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन देने में समर्थ होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी भावी प्रगति अधिक से अधिक नवान्वेषण करने, औद्योगिक सेक्टर के लिए दक्षतापूर्ण प्रक्रियाओं का और शासन के बेहतर समाधानों का विकास करने पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि व्यापार, सरकार, शिक्षा तथा समाज जैसे सभी सेक्टरों तक नवान्वेषण की भवना का समावेश होना जरूरी है। भारतीय नवान्वेषण कार्य नीति में ऐसे विचारों की उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो समावेशी विकास को बढ़ावा दें तथा सामाजिक-आर्थिक सोपान पर सबसे नीचे स्थित लोगों को लाभ पहुंचाए।
यह विज्ञप्ति 1215 बजे जारी की गई।