भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 दिसंबर, 2015) कलबर्गी, कर्नाटक में कर्नाटक की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि देश ने विगत समय में ठोस शिक्षा प्रणाली के आधार पर गरीबी, सामाजिक मलिनता और आर्थिक विसंगति पर विजय पायी है। भारत जैसे विकासशील देश को नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, पीने का पानी, स्वच्छता और शहरीकरण संबंधी चुनौतियों के लिए नए समाधान की आवश्यकता है। हमारे विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक है कि वे इन चुनौतियों के साथ अपने अनुसंधान को संबद्ध रखें। सृजनात्मक कार्यों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए हमारे विश्वविद्यालयों का स्थान सर्वप्रथम होना चाहिए। उन्हें अपने छात्रों में वैज्ञानिक प्रवृत्ति और जिज्ञासा की भावना भरनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सेंट्रल विश्वविद्यालय सामाजिक परिवर्तन के लिए वाहन का कार्य करते हैं। उन्हें ज्ञान प्रसार, नवोन्मेष प्रोत्साहन, पर्यावरणीय संरक्षण की प्रगति और कौशल विकास द्वारा अपने क्षेत्र के लोगों तक पहुंचना चाहिए। उन्हें प्रतिभावान स्थानीय युवाओं की भागीदारी को सामने लाना चाहिए, ताकि उनकी रोजगार योग्यता बढ़ायी जा सके और वंचित लोगों की गतिशीलता को उन्नत किया जा सके।
यह विज्ञप्ति 1310 बजे जारी की गई।