भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (24 जनवरी, 2016) नई दिल्ली में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के अखिल भारतीय सदस्य सम्मेलन का प्लैटिनम जयंती समारोह के एक भाग के रूप में उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि विगत वर्षों में प्रत्यक्ष कर विवादों में सीधी तेजी आयी है। कर विवादों में बढ़ते प्रवाह और कर अभियोगों में शामिल मात्रा से एक नवोन्मेषी अभियोग प्रबंधन आवश्यक हो गया है। अंतरण मूल्य निर्धारण, अंतरराष्ट्रीय कर और डिजिटल अर्थ व्यवस्था कर आधुनिक जटिल अर्थव्यवस्था कर के अग्रणी क्षेत्र हैं, जिनमें विशिष्ट कौशल ढांचे की आवश्यकता है। पिछले वर्षों में कर विभाग क्षमता विकास द्वारा इन चुनौतियों से निपटने के लिए जिम्मेदार रहा है। कर न्यायमंत्र प्रणाली में भारत को वैश्विक स्पर्धा में रखने के लिए इन क्षेत्रों में बढ़ते विवादों से कर विभाग और कर न्याय प्रणाली दोनों में ही प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कर प्रणाली की जटिलता और चुनौतियां कर दाताओं में असंतोष को जन्म दे सकती है। करदाताओं के असंतोष को कम करने के लिए विवादों का शीघ्र समाधान एक तरीका है। तीव्र न्याय के लिए संगठन में एक उच्च डिग्री के कानूनी, तकनीकी और प्रौद्योगिकीय विशिष्टता की आवश्यकता है। इसके लिए तेजी से परिवर्तनीय कानून और आर्थिक परितंत्र में निरंतर अद्यतन ज्ञान की भी आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी के कारण, व्यवसाय की गति में भी व्यापक रूप से वृद्धि हुई है। सर्वोत्तम वैश्विक प्रयास की तरह तकनीकी रूप से कुशल उद्यमी और वैश्विक भारतीय न्याय प्रणाली की मांग करते हैं। 21वीं सदी के इन उद्यमियों की आशाओं पर खरा उतरना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण परिवार के सदस्य और कानून मंत्रालय इन चुनौतियों का सामना अति सक्रियता से करेंगे।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिष्ठित व्यक्तियों में श्री जस्टिस टी.एस. ठाकुर, भारत के मुख्य न्यायाधीश और श्री जी.वी. सदानन्द गौड़ा, कानून एवं न्याय मंत्री शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई