भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज(23 फरवरी, 2013)नई दिल्ली में द इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ ओरल इंप्लाँटोलोजिस्ट्स द्वारा आयोजित, द्वितीय दक्षिण पूर्व एशिया इंप्लाँट सम्मेलन—‘इंप्लाँट एस्थेटिक्स, 2013’ का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक विज्ञान के रूप में,दंत स्वास्थ्य देखभाल की लोकप्रियता बढ़ी है,इसलिए हमारे देश में आज एक पेशे के रूप में,दंतविज्ञान के बारे में अधिक जागरूकता है| उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि इस सम्मेलन द्वारा ऐसे समय में जागरूकता उत्पन्न की जा रही है जबकि भारत के बहुत से शहरों और कस्बों में दंत चिकित्सा सुविधाओं कि कमी बनी हुई है|
राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि दंत स्वास्थ्य को सदैव सामान्य स्वास्थ्य देखभाल का अभिन्न अंग माना जाना चाहिए परंतु भारत में दंतविज्ञान का उद्विकास धीरे-धीरे हुआ है| इसलिए यदि चिकित्सा और दंत चिकित्सा बिरादरी,समुदाय कि बदलती प्राथमिकताओं के बारे में अपने आकलन के आधार पर तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकी और समाधानों को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित करें तो यह एक अमूल्य सेवा होगी|
राष्ट्रपति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संस्थानों को नियमित रूप से नैतिक,सामाजिक-आर्थिक तथा विधिक प्रभावों का मूल्यांकन करते रहना चाहिए और उन्हें अपने द्वारा अपनाए गए स्वास्थ्य देखभाल समाधानों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए| अनिवार्य परीक्षणों तथा जाँचों से सफल होकर निकलने वाली हर नयी पद्धति का ,अंततः तथा हर एक मामले में,सफलता की एक और कहानी के रूप में, हमारी वैज्ञानिक बिरादरी द्वारा उठाए गए अगले कदम के रूप में स्वागत होना चाहिए|
यह विज्ञप्ति 1300 बजे जारी की गई