भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 मार्च, 2013) मुंबई में स्वर्गीय श्री यशवंतराय चव्हाण के जन्म शताब्दी समारोह के समापन के अवसर पर वाई.बी. चव्हाण प्रतिष्ठान पुरस्कार कोंकण रेलवे तथा दिल्ली मेट्रो के निर्माता श्री श्रीधरन को प्रदान किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के एक महान सपूत को सादर श्रद्धांजलि देने का अवसर प्रदान करने के लिए वे महाराष्ट्र सरकार के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि श्री चव्हाण के नेतृत्व के दौरान, उनके जीवन में तथा राष्ट्र के जीवन में बहुत सी चुनौतियां आई। उन्होंने अपने चरित्र तथा मूल्यों की ताकत से इन सबका सामना किया।
अपने व्याख्यान में राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी द्वारा कही गई बात को उद्धृत किया। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं समझता हूं कि नेतृत्व का मतलब कभी ताकत से था; परंतु आज उसका मतलब है लोगों को साथ लकर चलना।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें स्वर्गीय श्री वाई.बी. चव्हाण के साथ निकट से कार्य करने का अवसर मिला था तथा श्री चव्हाण की कार्यशैली उनकी व्यावहारिकता का प्रतीक थी। उन्होंने आगे कहा कि सर्वसम्मति का निर्माण करना उनके नेतृत्व की प्रमुख विशेषता थी। इस अवसर पर उन्होंने तीन वीर क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेख को श्रद्धांजलि भी दी जिन्हें 23 मार्च, 1931 को फांसी पर चढ़ाया गया था।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। उन्होंने एक व्याख्यान पुस्तिका ‘कृष्णकथ’—वाई.बी. चव्हाण की आत्मकथा तथा एक अन्य पुस्तक ‘फ्लो ऑफ लाइफ—यशवंतराव चव्हाण’ की एक प्रति भी प्राप्त की।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में महाराष्ट्र के राज्यपाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री तथा केंद्रीय भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1855 बजे जारी की गई