भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी आज (23 मई, 2015) राष्ट्रपति भवन में आवासी कार्यक्रम में भाग ले रहे राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के बारह पुरस्कार विजेता स्कूल अध्यापकों से मिले। यह स्कूली अध्यापकों के लिए ऐसा पहला आवासी कार्यक्रम है। लेखकों, कलाकारों, बुनियादी नवान्वेषकों, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के विद्यार्थियों और प्रेरित अध्यापकों के लिए ऐसे कार्यक्रम मौजूद हैं।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि आवासी कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। उनके लिए सीमाओं का कोई अंत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि अध्यापक समाज को अपना ज्ञान नहीं देते, जिससे प्रगति हुई है तो कोई भी सभ्यतागत प्रगति नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमारी ‘गुरु शिष्य ‘ परंपरा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अध्यापक राष्ट्र निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन से थोड़ी दूरी पर ही अपने सार्वजनिक जीवन के चार दशक व्यतीत किए थे परंतु वह राष्ट्रपति भवन के जीवन और राष्ट्रपति संपदा से अनभिज्ञ थे। इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि इसे जनता के लिए खोला जाए।
राष्ट्रपति की सचिव,श्रीमती ओमिता पॉल ने कहा कि शिक्षा में अध्यापकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे सदैव विद्यार्थियों को उत्साहजनक माहौल प्रदान करते हैं और उनके जीवन पर प्रेरणादायी प्रभाव डालते हैं।
इस अवसर पर, सचिव, विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विकास, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि अध्यापक किसी भी शैक्षिक प्रणाली के केंद्र हैं। उन्होंने शिक्षा से संबंधित तीन क्षेत्रों, सुलभता, समानता बढ़ाना तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर बल दिया।
आवासी कार्यक्रम के प्रतिभागियों ने कहा कि वे कार्यक्रम का हिस्सा बन कर सम्मानित हुए हैं और यह अवसर प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति के प्रति आभारी हैं। इससे उन्हें तथा अन्य अध्यापकों को अपने पेशे में श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा मिलेगी।
यह विज्ञप्ति 1735 बजे जारी की गई।