भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 जून, 2014) राष्ट्रपति भवन ऑडिटोरियम में हिन्दू धर्म विश्वकोश की प्रति प्राप्त की।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने हिन्दू धर्म विश्वकोश के प्रकाशन के महती कार्य के लिए इंडिया हेरिटेज रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती को बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिन्दू दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मनुष्य के प्रमुख ध्येय माने गए हैं। इन ध्येयों की प्राप्ति के लिए मानव व्यवहार में संतुलन स्थापित करना मानव अस्तित्व का प्रमुख लक्ष्य बताया गया है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का उद्धरण देते हुए उन्होंने
कहा कि हिन्दुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है। यह तर्क और अत:प्रज्ञा का ऐसा संगम है जो वर्णनातीत है और उसे केवल महसूस किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी की प्रसन्नता, स्वास्थ्य और ज्ञान और किसी को दुख, कष्ट और पीड़ा न देना ही हिन्दू धर्म के मूल सिद्धांत हैं। उन्होंने महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए कहा कि : यदि मुझे हिन्दू धर्म को परिभाषित करने के लिए कहा जाए तो, मैं यही कहूंगा : सत्य
की खोज अहिंसक तरीके से करें। कोई व्यक्ति ईश्वर में विश्वास न भी करता हो तब भी स्वयं को हिन्दू कह सकता है। हिन्दुत्व सत्य की निरंतर खोज है.... हिन्दू सत्य का धर्म है। सत्य ही ईश्वर है। ईश्वर को अस्वीकार करने के बारे में हम जानते हैं। सत्य के खण्डन के बारे में
हम नहीं जानते।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों में श्री एल.के. अडवाणी, संसद सदस्य (लोकसभा), श्री रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय विधि एवं न्याय तथा संचार एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, सुश्री उमा भारती, केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा स्वच्छता मंत्री, डॉ कर्ण सिंह, अध्यक्ष,
औरोविले फाउंडेशन, स्वामी चिदानंद सरस्वती तथा डॉ आर.के. पचौरी, महानिदेशक, टीईआरआई थे।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मगुरुओं में डॉ. आचार्य लोकेश मुनि, फादर अनिल जोस टॉमस कोटो, आर्चबिशप दिल्ली, मौलाना डॉ कब्ले सादिक साहिब, उपाध्यक्ष, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ज्ञानी गुरुबचन सिंह, मुख्य जत्थेदार, स्वर्ण मंदिर तथा साध्वी भगवती सरस्वती शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1445 बजे जारी की गई।