भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 जून, 2016) को राष्ट्रपति भवन में इन-रेसिडेंस कार्यक्रम में भाग लेने वाले आईआईटी, आईआईएससी- बंगलोर और आईआईएसईआर के विद्वानों से मुलाकात की। ऐसे ही कार्यक्रम लेखकों, कलाकारों, जनसाधारण नवोन्वेषकों, एनआईटी के छात्रों और उत्साहित शिक्षकों के लिए मौजूद हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने छात्रों को राष्ट्र हित में योगदान देने, भारत को महान बनाने के लिए कठिन परिश्रम करने और उन चुनौतियों से निपटने के लिए सलाह दी जो हमारे देश के सामने हैं। उन्हें प्रतिभा, विशिष्टता और कौशल के उच्च स्तर का बताते हुए, राष्ट्रपति ने युवा विद्वानों को समाज द्वारा उनपर अनुसंधान,विकास और नवोन्वेष द्वारा किए गए निवेश का मूल्य चुकाने के लिए कहा। उन्होंने उन्हें औरों से भिन्न और अद्वितीय बनने के लिए कहा। उन्होंने नई पीढ़ी को नेता बताते हुए कहा कि वे देश में परिवर्तन लाने के लिए अभिन्न साहस का प्रदर्शन करें। उन्होंने स्मरण कराया कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में पर्याप्त संख्या में युवा पुरुषों और महिलाओं ने योगदान दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि इन-रेसिडेंस कार्यक्रम का प्रयोजन राष्ट्रपति भवन को प्रजातंत्रीय बनाना और इसे लोगों के लिए सुगम बनाना है। भारत के लोगों को राष्ट्रपति भवन के बारे में जानने और इसके जीवन का एक भाग होने तथा इसके माहौल का आनंद लेने का पूरा अधिकार है। राष्ट्रपति ने भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों से निकले छात्रों को उन लोगों के रूप में बताया जिनका पूरे विश्व में स्वागत होता है। उन्होंने उनसे हमेशा तरोताजा, ऊर्जावान और रचनात्मक होने के लिए आह्वान किया। राष्ट्रपति की सचिव, श्रीमती ओमिता पॉल ने कहा कि इंजीनियर्स,वैज्ञानिक, डाक्टर, अधिवक्ता और भारत के अन्य व्यवसायी प्रत्येक वर्ष भारत की बढ़ती प्रतिभा में और अधिक योगदान देते हैं तथापि और भी कई हैं जो उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। आज के युवा महत्वाकांक्षी हैं। वे अपने सपनों को साकार करने के लिए पर्याप्त सीमा तक परिश्रम कर सकते हैं। यह महत्वाकांक्षी भारत-राष्ट्र का चिह्न है जो देशों के शिष्टाचार में अपना आधिकारिक स्थान ढूंढ रहा है।
यह विज्ञप्ति1730 बजे जारी की गई।