इराक के प्रधानमंत्री, श्री नौरी कामिल अल-मालिकी ने आज (23 अगस्त, 2013) राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत को इराक के साथ अपने सौहार्दपूर्ण तथा मैत्रीपूर्ण संबंधों पर खुशी है। दोनों देशों के बीच महान मेसोपोटामियाई सभ्यता के दौर से शुरू हुए ऐतिहासिक संबंध हैं तथा हजारों भारतीय नजफ और करबला के पवित्र धर्म स्थलों के वार्षिक तीर्थाटन के लिए जाते हैं। इराक में लोकतंत्र की स्थापना के बाद दोनों देशों के बीच संबंध नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इराक, भारत का कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। यह दोनों के लिए हितकारी साझीदारी है। भारत इस रिश्ते को एक क्रेता-विक्रेता से आगे ले जाकर तेल उत्पादन, तेल की खोज में संयुक्त उद्यम, पेट्रोरसायन परिसरों, उर्वरक संयंत्रों आदि तक ले जाना चाहता है। उन्होंने कहा कि इराक के प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान हस्ताक्षर किए जाने वाले समझौता ज्ञापनों से दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का संस्थागत ढांचा तैयार होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, इराक की प्रगति और विकास का प्रतिबद्ध साझीदार रहा है तथा बना रहेगा ताकि इराक अपने पुनर्निर्माण तथा पुन:रचना प्रयासों को पूरा कर सके। अवसंरचना तथा संस्थाओं के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में भारत, इरान को सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय उद्यमी तथा भारतीय उद्योग इराक के साथ व्यापार करने के लिए उत्सुक हैं।
इराक के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के उद्गारों का उसी गर्मजोशी से उत्तर देते हुए कहा कि भारत और इराक ऐसे दो देश हैं जो अपने रिश्तों को मजबूत बनाने तथा उच्च स्तरीय संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रयासरत् हैं। उन्होंने कहा कि भारत और इराक एक-दूसरे के अनुपूरक हैं। भारत को ऊर्जा चाहिए जबकि इराक को रोजगार पैदा करने के लिए निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में भारत के अनुभव की पूरे विश्व में प्रशंसा हुई है तथा ऐसा बहुत कुछ है जो इराक भारत से सीख सकता है।
यह विज्ञप्ति 1300 बजे जारी की गई।