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राष्ट्रपति ने कहा, साहित्यिक पांडुलिपियों को भावी पीढि़यों के लिए सुसंरक्षित किया जाना चाहिए

राष्ट्रपति भवन : 23.08.2016

भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 अगस्त, 2016) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में बंगिया साहित्य परिषद के 125वें वर्षगांठ समारोह को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह बंगिया साहित्य परिषद जिसमें श्री रमेश चंद्र दत्ता, रवीन्द्रनाथ ठाकुर और रामेंद्रसुंदर त्रिवेदी जैसी विभूतियां थीं, के ट्रस्टी बोर्ड का सदस्य रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगिया साहित्य परिषद ने 1893 में अपनी स्थापना के बाद से साहित्य के उन्नयन तथा असंख्य मूल्यवान साहित्यिक पांडुलिपियों के संरक्षण में एक अहम भूमिका निभाई है। संस्थान के पुस्तकालय में रखी हुई 13,000 पांडुलिपियां ऐसी दुर्लभ निधियां हैं जिन्हें किसी भी मूल्य पर संरक्षित रखना चाहिए और इसके लिए सभी आवश्यक प्रबंधन किए जाने चाहिए। परिषद बंगाली साहित्य के इतिहास के साथ जुड़ी हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य ना केवल सर्जनात्मक कार्य से जुड़ा हुआ है बल्कि यह समग्र रूप से समाज और इसकी जनता का पूर्ण प्रतिबिंब भी है। इसलिए भूगोल, इतिहास, समाज तथा लोगों के दैनिक जीवन के दर्पण विश्व साहित्य को भावी पीढि़यों को सौंपने और अध्ययन के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने बताया कि बंगिया साहित्य परिषद को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से दस करोड़ रुपये की निधि प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि यह तथा अन्य ऐसे ही अनुदानों को इस संस्थान में उपलब्ध अमूल्य पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए सदुपयोग में लाया जा सकता है।

यह विज्ञप्ति1955 बजे जारी की गई।