भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 सितंबर, 2013) मैसूर, कर्नाटक में आयोजित एक समारोह में जगद्गुरु श्री शिवा-रात्रीश्वर महाविद्यापीठ के नए अस्पताल भवन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमें स्वास्थ्य सेक्टर में अपना व्यय बढ़ाने की जरूरत है। भारत में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय, सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत है। यह अमरीका, यू.के., आस्ट्रेलिया, नार्वे तथा ब्राजील जैसे देशों में होने वाले 4 प्रतिशत से अधिक के व्यय से बहुत नीचे है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने देश की प्रगति चाहते हैं तो हमें अपनी सौम्य शक्ति को बढ़ावा देना होगा। हम प्रगति के मार्ग पर आगे तभी बढ़ सकते हैं जब हम अपनी जनता पर पर्याप्त निवेश करें। हमें स्वास्थ्य तथा पोषण सुरक्षा, गुणवत्तायुक्त शिक्षा की उपलब्धता तथा अच्छा जीवन स्तर सुनिश्चित करके हमें जनता की क्षमताओं में वृद्धि करनी होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्तायुक्त चिकित्सा उपचार तक अधिक पहुंच बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा। टेलीमेडिसिन प्रोजैक्ट में सेटेलाइट प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए सुदूर स्थित स्वास्थ्य केंद्रों को शहरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों से जोड़ा गया है। इससे जरूरतमंदों तथा सुविधाविहीन लोगों तक विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवा परामर्श पहुंचाने में सहायता मिली। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रौद्योगिकी के दूसरे नवान्वेषी प्रयोगों का पता लगाना होगा। बहुत-सी बीमारियों का कारगर तथा कम खर्चीला इलाज ढूंढ़ना होगा। चिकित्सकीय प्रक्रियाओं के उन उन्नत उपकरणों का देश में ही विनिर्माण करना होगा जो अभी तक आयात किए जाते हैं। अनुसंधान केंद्रों तथा मेडिकल कॉलेजों को नवान्वेषणों के लिए प्रोत्साहन देना होगा। हमारे देश में उच्च कौशल युक्त चिकित्सकों की अच्छी संख्या सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सि शिक्षा को सशक्त करना होगा। हमारे चिकित्सकों को उनके विशेषज्ञता क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति से परिचित कराना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि निवारक जन स्वास्थ्य में किए जाने वाले निवेश गरीबों तथा प्रगति दोनों के अनुकूल होते हैं। हमारी स्वास्थ्य सुविधा कार्यनीति में चिकित्सा सुविधा तथा हस्तक्षेप दोनों ही से आगे कार्य करना होगा। जीवन शैली संबंधी बढ़ती बीमारियों के कारण निवारक स्वास्थ्य सेवा को अधिक महत्तव देना होगा। हमारी स्वास्थ्य प्रणाली को लोगों का उपचार करने तथा चिकित्सा स्थितियों के निवारण के लिए मार्गदर्शन भी देना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘स्वस्थ भारत’ संभव है। जिसके लिए बीमारियों की रोकथाम, शीघ्र पहचान तथा उपचार को प्रोत्साहन देना होगा। इसके लिए स्वस्थ रहन-सहन को बढ़ावा देना होगा। स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित भोजन, शारीरिक श्रम, जीवन-शैली प्रबंध तथा पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा देना होगा। स्वस्थ व्यवहार तथा आदतों को शुरू करने के लिए व्यक्तियों तथा समुदायों, दोनों में, बदलाव के लिए प्रयास करने होंगे।
जे.एस.एस. महाविद्यापीठ नामक इस लाभ न कमाने वाले संगठन को 1954 में सुत्तूर के जगद्गुरु वीर सिंहासन पीठ के डॉ. श्री शिवरात्रि राजेंद्र महास्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया था।
यह विज्ञप्ति 1635 बजे जारी की गई।