भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (23 दिसंबर, 2013) अनंतपुरम, आंध्र प्रदेश में भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. नीलम संजीव रेड्डी के शताब्दी समारोहों के समापन समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. रेड्डी सही मायने में अपनी अंतिम सांस तक धरती के सपूत और किसान बने रहे। वह आज के आंध्र प्रदेश के मुख्य वास्तुकार थे। आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री के रूप में डॉ. रेड्डी ने राज्य के विकास और आधुनिकीकरण तथा इसकी जनता की प्रगति के लिए कठोर परिश्रम किया। उन्हें नागार्जुन सागर, श्रीशैलम परियोजना, श्रीराम सागर तथा वंशधारा परियोजनाओं के निर्माण की योजनाओं को स्वरूप प्रदान करने का श्रेय जाता है, जो इस इलाके के विकास के कुछ अत्यं महत्त्वपूर्ण पड़ावों में से हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि यदि आंध्र प्रदेश को दक्षिण भारत का अन्नकोष माना जाता है तो इसका श्रेय डॉ. संजीव रेड्डी को जाता है।
राष्ट्रपति ने डॉ. संजीव रेड्डी को सरकार तथा राजनीति में आदर्श मॉडल बताया। अपने शब्दों की गरिमा तथा निर्णय लेने तथा उनका कार्यान्वयन करने में दृढ़ इच्छा शक्ति के लिए उनकी प्रशंसा की जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. रेड्डी गरीबों के प्रति बहुत करुणा रखते थे। वह प्रात: इस बात पर चिंता व्यक्त करते थे कि भारत के बहुत से लोगों को पोषाहार, वस्त्र, चिकित्सा सुविधा तथा शिक्षा के न्यूनतम मानक भी प्राप्त नहीं हैं तथा उन्होंने इन खामियों का समाधान ढूंढ़ने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति से प्रयास करने का आह्वान किया। वह भारत के उन परंपरागत मूल्यों के कमजोर होने पर भी अत्यंत चिंतित रहते थे जिन्होंने भारत को सदियों से शांति से रहने में सक्षम बनाया है। डॉ. रेड्डी का संदेश आज भी प्रासंगिक बना हुआ है जब हमारे समाज को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वे हमें उस महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी की याद दिलाते हैं जो हमें भारत के नागरिक के तौर पर पूरी करनी है। हमें अपने-अपने लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयास करते हुए इन प्रेरक वचनों को अपनाना चाहिए। राष्ट्रपति ने उम्मीद व्यक्त की कि अनंतपुरम की जनता, आंध्र प्रदेश की जनता तथा भारत की जनता उन मूल्यों के प्रति ईमानदार रहकर उनकी याद को सम्मान देगी जिनके लिए वे संघर्षरत् रहे।
यह विज्ञप्ति 1340 बजे जारी की गई।