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राष्ट्रपति जी ने इस्कॉन का आह्वान किया कि वह स्वयं को मानवता की सेवा में समर्पित करे

राष्ट्रपति भवन : 24.02.2013

भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज(24 फ़रवरी 2013)पुणे में इस्कॉन के वैदिक संस्कृति केंद्र का उद्घाटन किया|

इस अवसर पर बोलते हुये,राष्ट्रपति ने इस्कॉन के योगदान की गहरी प्रशंसा करते हुए इस केंद्र का आह्वान किया कि वह शांति,सौहार्द,प्रेम तथा करुणा का संदेश फैलाते हुये स्वयं को मानवता की सेवा में समर्पित करे| उन्होंने इस्कॉन की प्रगति और विकास को एक तीव्र गति का आंदोलन तथा इस उक्ति का उदाहरण बताया कि जो विचार प्रासंगिक होता है उसे कोई चीज नहीं रोक सकती| उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति कभी भी दूसरों पर विजय पाकर अथवा हक़ छीनकर नहीं फैली है| सदियों पहले ही भारतीय संतों ने सभी की खुशहाली के लिए कामना की थी|

राष्ट्रपति ने कहा कि इस्कॉन के संस्थापक,स्वामी प्रभुपाद ने सम्पूर्ण विश्व को बहुत ही कम समय में उत्प्रेरित करते हुये 600 से अधिक मंदिर स्थापित किए| उन्होंने यह भी कहा कि इस्कॉन प्रतिदिन 10 मिलियन से भी अधिक बच्चों को भोजन प्रदान करता है| उन्होंने गाँधीजी को उद्धृत करते हुये कहा कि "यदि एक व्यक्ति आध्यात्मिकता से लाभान्वित होता है तो पूरा विश्व उससे लाभ प्राप्त करता है"और इस्कॉन का आह्वान किया कि वह प्रेम और करुणा के प्रसार के अपने प्रशंसनीय कार्य को जारी रखे|

यह विज्ञप्ति 1500 बजे जारी की गई