हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के स्वामी/अध्यक्ष प्रबंधन कार्यक्रम (ओपीएम 39) के पुनर्मिलन समारोह के प्रतिभागियों ने कल (23 फरवरी, 2014) को भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
राष्ट्रपति भवन में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति ने 2006 में मुंबई में शुरू किए गए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के भारत अनुसंधान केंद्र की सराहना की, जिसने अभी तक 55 से ज्यादा अनुसंधान परियोजनाओं पर भारत के कारोबारी प्रमुखों और शिक्षा संचालकों के साथ सहयोग किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि तीव्र, अधिक समावेशी और सतत् विकास ही भारत की आसन्न सच्चाई है। मध्य वर्ग के उपभोक्ता बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए वैश्विक कारोबार के लिए बाजार के और अधिक आकर्षक होने की संभावना है। भारत की आर्थिक बुनियाद और विकास गाथा ठोस है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के वृहत-बुनियादी तत्त्व मजबूत बने हुए हैं जो इस तथ्य की वजह से और स्पष्ट हो जाते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद अनुपात की तुलना में सार्वजनिक-ऋण 2003-04 के 85.9 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद से निरंतर कम होकर 2012-13 में 66 प्रतिशत हो गया है। भारत का विदेशी ऋण सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 21.2 प्रतिशत है। इसका विदेशी विनिमय भण्डार 292 बिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा है जिससे विदेशी सेक्टर में किसी भी अल्पकालिक विसंगति से पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी। चालू खाता घाटे के 2013-14 में 3.7 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है, यह बाद में लगभग 2.5 प्रतिशत तक कम हो जाएगा, इसलिए विदेशी सेक्टर निकट भविष्य में भी मजबूत होगा।
यह विज्ञप्ति 1745 बजे जारी की गई।