भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी गुवांग्झाऊ में आज चीन की यात्रा के शुरुआती दिन में 24 मई, 2016 चीन में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया।
भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की नीति चीन के प्रति सहयोग के क्षेत्रों को बढ़ाना, मतभेदों को कम करना है। बारंबार द्विपक्षीय यात्राएं दोनों महान देशों के बीच संबंध बढ़ना दर्शाती हैं। वर्ष 1990 से द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। आज दोनों देशों के बीच व्यापार 2000 में 2.9 करोड़ अमरीकी डॉलर से बढ़कर 71 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक पहुंच गया है। इनमें व्यापार, निवेश और परस्पर आर्थिक सहयोग के लिए पर्याप्त क्षमता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन बहुत से बहुपक्षीय मंचों पर एक दूसरे के साथ निकटता से सहयोग कर रहे हैं। भारत जो कि विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य है, ने चीन की सदस्यता को पहले दिन से समर्थन दिया है। इसमें विश्व व्यापार संगठन में वाद-विवाद किया कि इसकी वृहद आबादी के साथ चीन को विश्व व्यापार संगठन से अलग रखना गलत है। भारत और चीन दोनों ही जी-20 के संस्थापक सदस्य हैं। सर्वाधिक विकसित उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के रूप में दोनों देश विश्व प्रगति में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि भारत के 2.4 करोड़ लोग और चीन एकजुट होकर चलें तो यह एक महान घटना होगी। व्यापार, निवेश, विकास अनुभव में सहयोग को तीव्र करना, सर्वोत्तम प्रयासों को साझा करना और सभी क्षेत्रों में सहयोग शांति, विकास और समृद्धि के लिए सबसे बड़ी गारंटी है। इससे दोनों देशों की प्रगति को आगे बढ़ाना सुनिश्चित होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय समुदाय के सदस्य उस देश के अशासकीय राजदूत हैं जिसमें वे रहते हैं। वे हर समय अपने हृदय में भारत भूभाग को अक्षुण्ण रखते हैं। भारत को अपने डायस्पोरा पर गर्व है। उन्होंने भारतीय डायस्पोरा को करोड़ों भारतीयों के जीवन को बदलने के लिए आरंभ किए गए विशाल कार्य में अपना सर्वोत्तम योगदान देने के लिए आमंत्रित किया।
यह विज्ञप्ति 2110 बजे जारी की गई।