भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी 25 जुलाई, 2015 को अपने पद पर तीन वर्ष पूर्ण कर लेंगे।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद और अन्य गणमान्य अतिथियों के लिए रात्रि भोज का आयोजन करेंगे। भारत के उपराष्ट्रपति तथा केंद्रीय गृह मंत्री उनके चुने हुए अभिभाषणों के दो खंडों तथा राष्ट्रपति भवन पर दो पुस्तकों का विमोचन करेंगे। पुस्तकों के शीर्षक हैं ‘अबोड अंडर द डोम’ तथा ‘राइट ऑफ द लाईन : द प्रेजीडेंट्स बॉडीगार्ड (1773-2015) हैं।’
राष्ट्रपति मुखर्जी के चुने हुए अभिभाषणों के दो खंडों में भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई, 2012 को पद ग्रहण करने के बाद से राष्ट्रपति द्वारा दिए गए महत्त्वपूर्ण अभिभाषण शामिल हैं। प्रथम खंड में बावन अभिभाषण शामिल हैं और इन्हें पांच खंडों में बांटा गया है : (i) राष्ट्र (ii) संसद और राज्य विधान सभाएं (iii) न्यायपालिका और संवैधानिक संस्थाएं (iv) सशस्त्र सेनाएं तथा (v) प्रख्यात विभूतियां और समारोह। दूसरे खंड में 102 अभिभाषण हैं और इसे तीन खंडों में बांटा गया है : (i) शिक्षा, (ii) राजभोज अभिभाषण; तथा (iii) विदेश यात्राएं। इन खंडों में शामिल अभिभाषण हमारे राष्ट्र से सम्बन्धित कुछ प्रमुख मुदें पर राष्ट्रपति मुखर्जी के चिंतन और मूल्यांकन को प्रतिबिंबित करते हैं। दोनों खंड शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले अभिभाषणों के चार खंड संग्रह का हिस्सा हैं।
‘राईट ऑफ द लाईन : द प्रेजीडेंट्स बॉडीगार्ड (1773-2015)’ को संस्कृति मंत्रालय तथा आई जी एन सी ए के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है। पुस्तक में भारत के गवर्नर जनरल के अनुरक्षक और रक्षक सैनिकों के प्रशिक्षित अंग के रूप में 18वीं शताब्दी में अपने आरंभ से लेकर मुख्यत: समारेहिक कार्यों सहित आधुनिक समसामयिक भूमिका तक राष्ट्रपति अंगरक्षक का इतिहास और परंपरा प्रस्तुत करती है।
‘अबोड अन्डर द डोम’ पुस्तकों की उस शृंखला का हिस्सा है जिसका उद्देश्य जनता को राष्ट्रपति भवन के इतिहास तथा भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसके योगदान के बारे में जानकारी देने के लिए उसकी जीवंत तथा समृद्ध विरासत का प्रलेख करना है। पुस्तक व्यापक अनुसंधान पर आधारित है तथा इस बात पर प्रकाश डालती है कि किस तरह राष्ट्रपति भवन ने अपने मेहमानों की आवभगत में तथा परंपरागत भारतीय संस्कृति के पालन में केई कोताही नहीं बरती है। इसमें राष्ट्रपति भवन के अतिथि विंग के कर्मचारियों की हर एक माननीय अतिथि को सम्मानित तथा आरामदेह महसूस कराने में भूमिका का भी उल्लेख है,इसमें इन दौरों के कुछ रोचक प्रसंग भी हैं; भारत में विश्व के नेताओं का कैसे स्वागत किया जाता है, हमारे देश के बारे में उनके संस्मरण तथा उनकी भारत की यात्रा से हमारे देश के बारे में उनके और विश्व के नजरिए में किस तरह बदलाव आया।
उपर्युक्त सभी पुस्तकें सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
यह विज्ञप्ति 1645 बजे जारी की गई।