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राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे सिनेमा का निर्माण होना चाहिए जो सामाजिक बदलाव तथा नैतिक उत्थान में योगदान दे।

राष्ट्रपति भवन : 24.09.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने उद्योग से ऐसे सिनेमा का निर्माण करने का आह्वान किया जो सामाजिक बदलाव तथा नैतिक उत्थान में योगदान दे। वह आज (24 सितंबर 2013) चेन्नै में तमिलनाडु सरकार तथा साउथ इंडियन फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित, भारतीय सिनेमा के शताब्दी समारोहों के अवसर पर बोल रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा संप्रेषण का एक लोकप्रिय और शक्तिशाली माध्यम है। देश में सिनेमा देखने वालों की बड़ी संख्या है। इसलिए यह जरूरी है कि इस माध्यम में मनोरंजन तथा सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाकर रखा जाए। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की, हाल ही की घटनाओं ने देश की अंतरात्मा को झिंझोड़ दिया है। हमें हाल ही में, देश के कुछ हिस्सों में दु:खद सांप्रदायिक दंगों को भी देखना पड़ा है। हमें अपने मूल्यों के क्षरण को रोकने के उपाय तलाशने होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा राष्ट्र की नैतिकता की दिशा के निर्धारण में भूमिका निभा सकता है और उसे निभाना भी चाहिए। फिल्म उद्योग से जुडे प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह एक सहनशील तथा सौहार्दपूर्ण भारत के निर्माण के लिए हमारे सकारात्मक सामाजिक मूल्यों के चित्रण के लिए सिनेमा के मजबूत माध्यम का प्रयोग करे। उन्होंने मनोरंजन उद्योग आह्वान किया कि वे इस जिम्मेदारी के प्रति जागरूक तथा सचेत रहें और ऐसा सिनेमा निर्मित करने के लिए हर-एक प्रयास करें जो सामाजिक बदलाव और नैतिक उत्थान में योगदान दे।

यह विज्ञप्ति 1925 बजे जारी की गई।