भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा क्षेत्रीयता से अबाधित, संकीर्णता से मुक्त तथा पूर्वाग्रहों से रहित व्यापक नजरिया ही हमारे देश को महान तथा विश्व का नेतृत्व करने के लिए एक पर्याप्त आदर्श राष्ट्र बना सकता है। वह आज (25 सितंबर, 2013) पुदुच्चेरी के श्री अरविंद आश्रम में श्री अरविंदो इन्टरनेशनल सेंटर ऑफ एजुकेशन के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के युवा बुद्धिमत्ता अथवा प्रतिभा के मामले में किसी से भी पीछे नहीं है। परंतु हमारे देश को जिसकी जरूरत है वह है ईमानदारी तथा समर्पण। उन्होंने आग्रह किया कि लोकतांत्रिक समाज के सभी वर्गों के बीच बेहतर सहिष्णुता तथा समझ विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास होने चाहिएं। राष्ट्रपति ने कहा कि श्री अरविंद चाहते थे कि भारत यह भूमिका निभाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने आस-पास रहने वाले लोगों की भावनाओं का तथा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे शब्दों और कार्यों से वे किस तरह प्रभावित होते हैं। जब हम उन समस्याओं को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं जो हमारे सामाजिक विकास पर दुष्प्रभाव डालती हैं, और जब हम असंतुलनों का हल ढूंढ़ रहे हैं तब हमें मिल-जुलकर उन मूल्यों का भी पता लगाना होगा जिन्होंने सदियों से हमारे समाज के बहुलवादी तथा पंथनिरपेक्ष ताने-बाने को सुरक्षित रखा है। इसी के साथ, हमें इन आचारों को लागू भी करना होगा ताकि जैसे-जैसे हम वैश्विक संसार की ओर बढ़ते हैं, हम भारतीयों के रूप में इन विशिष्ट परंपराओं के प्रति वफादार रहें।
यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई।