भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (25 नवम्बर 2014) बेंगलूरु में रॉयल सोसाइटी द्वारा आयोजित राष्ट्रमंडल विज्ञान सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन में उपस्थित सभी लोगों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि राष्ट्रमंडल विज्ञान सम्मेलन आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाले नवान्वेषी विचारों के प्रस्फुटन के लिए एक मंच के रूप में कार्य करे।
प्रधानमंत्री नेहरु को उद्धृत करते हुए,जिन्होंने कहा था, ‘भविष्य विज्ञान का है तथा उनका है जो विज्ञान को मित्र बना लेंगे’ राष्ट्रपति ने इस बात का स्वागत किया कि इस सम्मेलन में विकासशील देशों में वैज्ञानिक क्षमता के निर्माण पर विचार-विमर्श होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल देशों के वैज्ञानिकों के विश्व की प्रमुख प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग को बढ़ाना होगा। शिक्षण तथा शिक्षकों की गुणवत्ता में भी हर स्तर, खासकर स्कूल, पर सुधार जरूरी है। यदि इन क्षेत्रों में कार्य करने के लिए ठोस कार्यक्रम बनाए जा सकें तो राष्ट्रमंडल विज्ञान सम्मेलन रूपांतरकारी हो सकती है।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रमंडल देशों का आह्वान किया कि वे द्विपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय ‘वृहत वैज्ञानिक’ पहलों में भागीदार करें। उन्होंने कहा कि विश्व-भर से हर एक सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के युवकों एवं युवतियों को विज्ञान के परिशुद्ध उपकरणों के बारे में सीखने का अवसर मिलना चाहिए ताकि वे हमारे ग्रह तथा ब्रहमांड के रहस्यों को समझने के अपने सपनों को साकार कर सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को दूसरे देशों के साथ, खासकर राष्ट्रमंडल के छोटे देशों के वैज्ञानिक आधार और अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिए,हर-संभव तरीके से सहयोग करने में खुशी होगी।
यह विज्ञप्ति1810 बजे जारी की गई।