राष्ट्रपति केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थाओं के 13 प्रेरित शिक्षकों से मिले जो 23 से 29 अप्रैल, 2014 तक एक आवासी कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रपति भवन में ठहरे हुए हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये शिक्षक सही मायने में प्रतिभाशाली हैं और इन्होंने उन समूहों को प्रेरित किया है जिन्होंने समाज के प्रति अपने दृढ़ विश्वास,साहस,ज्ञान और प्रतिबद्धता के द्वारा केवल आपने आप को ही प्रेरित नहीं किया बल्कि देश के प्रति उनके योगदान में सहायता पहुंचाने के लिए अपने छात्रों की क्षमता को भी उत्प्रेरित किया है। इसलिए देश ऐसे प्रेरित शिक्षकों का ऋणि है। राष्ट्रपति ने कहा उच्चतर शिक्षा के114 संस्थाओं का कुलाध्यक्ष होने की हैसियत से उन्होंने प्रत्येक शैक्षिक सभा में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है। वे यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस महान देश की उच्चतर शिक्षा ने शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को बढ़ाने में वे किस प्रकार अपना अल्प योगदान दे सकते हैं। अनुसंधान और विकास के महत्व पर बल देते हुए राष्ट्रपति ने दुख व्यक्त किया कि सकल घरेलू उत्पाद की प्रतिशतता के रूप में अनुसंधान और विकास व्यय भारत में केवल 0.8प्रतिशत है। इसकी तुलना में यह जापान में 3.6 प्रतिशत,संयुक्त राष्ट्र में 2.7 प्रतिशत और चीन में 2.0 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में निवेश बढ़ाना समय की मांग है।
राष्ट्रपति की सचिव,श्रीमती ओमिता पॉल ने कहा कि यदि हमारे पास उत्कृष्ट शिक्षक नहीं हैं तो हमारे पास अच्छे मनुष्य भी नहीं हो सकेंगे। शिक्षकों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे अपने छात्रों को मूल्यों से लैस करें और उनमें अच्छे चरित्र का निर्माण करें।
राष्ट्रपति भवन में प्रेरित शिक्षकों के लिए आवासी कार्यक्रम के एक भाग के रूप में ठहरने वाले शिक्षकों ने कहा कि यह अनुभव सही मायने में शानदार रहा और उन्होंने इस दिशा में कार्य करते रहने के प्रति अधिक विश्वस्त महसूस किया। वे राष्ट्रपति संपदा में बच्चों,विशेष बच्चों,वरिष्ठ नागरिकों आदि जैसे अनेक सार्थक पहलों को देखकर प्रेरित थे और अपनी वापसी पर वे अपने संबंधित परिसरों में इस भावना को साथ लेकर जाना चाहेंगे। कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने अपने प्रति गहरा सम्मान महसूस किया क्योंकि यह व्यवसाय के रूप में शिक्षा के महत्व को स्वीकार करता है।
यह विज्ञप्ति1715बजे जारी की गई।