भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 जुलाई 2014) को रायपुर, छत्तीसगढ़ में पं. रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ इतिहास, संस्कृति और विरासत की भूमि है तथा इसे देश में सेमेस्टर प्रणाली आरंभ करने का श्रेय जाता है। उन्होंने विश्वविद्यालय को एक और अद्भुत कार्य, अपनी स्वर्ण जयंती आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और
उनके शिक्षकों पर व्यक्तियों को सर्वगुण संपन्न बनाने का भारी दायित्व है। विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में किसी भारतीय विश्वविद्यालय को स्थान न मिलने पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि वह विश्वविद्यालयों, विशेषकर इसके उच्च शिक्षा केन्द्रों की ओर न केवल
विद्यार्थियों बल्कि संपूर्ण समाज के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में तथा दुनिया के विश्वविद्यालयों की रेटिंग में उपयुक्त स्थान अर्जित करने के लिए देखते हैं। नैतिक मूल्यों पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें हमारी सार्वभौमिक प्रज्ञा और दर्शन में निहित
विश्वास प्रणाली भी निर्मित करनी होगी। आधुनिक नजरिए को अपनाने का अर्थ अपने प्राचीनकाल के आधारभूत मूल्यों से विचलित होना नहीं है। हमारे सभ्यतागत मूल्य- मातृभूमि से प्रेम; कर्तव्य का निर्वहन; सभी के प्रति सहृदयता; बहुलवाद के प्रति सहिष्णुता; महिलाओं के प्रति
सम्मान;जीवन में ईमानदारी; आचरण में संयम; कार्य में दायित्व तथा अनुशासन देश और काल से परे शाश्वत हैं। वे सदियों से चले आ रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालयों का कर्तव्य है कि वे अगली पीढ़ी को मूलभूत मूल्यों की जिम्मेदारी सौंपें।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व का सबसे युवा जनसंख्या वाला भारत जैसा देश मानव संसाधन तैयार करने के मामले में बेहतर ढंग से सुसज्जित होना चाहिए। हमारे उच्च शैक्षिक संस्थानों में उत्कृष्टता की संस्कृति प्रोत्साहित करनी चाहिए तथा प्रमुख योग्यताओं को बढ़ावा दिया जाना
चाहिए। संस्थानों के बीच शैक्षिक सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। अनुसंधान उच्च श्रेणी का होना चाहिए तथा स्थानीय मुद्दों और विशिष्ट क्षेत्रों को ध्यान में रखकर उन्हें प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए। नवान्वेषण क्लब जैसे संस्थागत तंत्रों का निर्माण संभावित जमीनी
नवान्वेषण सामने लाने और सहयोग करने के लिए करना चाहिए। राज्य स्तरीय संस्थानों को जिनका उच्च शिक्षा क्षमता में 96 प्रतिशत हिस्सा है, उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कॉलेजों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि लगभग 87 प्रतिशत विद्यार्थियों का बड़ा हिस्सा इनमें
अध्ययनरत है। संबंधित विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम और मूल्यांकन में उच्च मानदंड कायम रखने के लिए उनका मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1730 बजे जारी की गई।