भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 सितंबर, 2014) धनवंत्री नगर, पुडुच्चेरी में जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोहों में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि सब को प्राप्य,वहनीय तथा कारगर सर्वांगीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आज की जरूरत है। इसके लिए एक मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना, प्रशिक्षित तथा प्रेरित कार्मिकों तथा औषधियों और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता जरूरी है। भारत में प्रति 10000 की जनसंख्या पर 7 अस्पताल हैं जबकि इसकी तुलना में ब्राजील में 23, चीन में 38 तथा रूस में 97 अस्पताल हैं। भारत में प्रति 10000की जनसंख्या पर 7 चिकित्सक हैं जबकि इसकी तुलना में ब्राजील में 19, चीन में 15 तथा रूस में 43 चिकित्सक हैं। यद्यपि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं ने भारत में सेवा उपलब्धता सुधारी है परंतु स्वास्थ्य सेवाओं के सामने अभी भी अपनी पहुंच तथा गुणवत्ता की समस्या है। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा इसलिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे तृतीय स्वास्थ्य सेवा की जरूरत कम होती है। भारत में स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी वित्तपोषण विश्व के कुल स्वास्थ्य खर्च का एक प्रतिशत से भी कम है क्योंकि भारतीय विश्व जनसंख्या का छठा हिस्सा हैं इसलिए यह व्यय बहुत ही कम है। सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अपने खर्च के स्तर में समुचित बढ़ोत्तरी करनी होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते रुझान के कारण सावधानी संबंधी कार्यनीतियां जरूरी हो गई हैं। चिकित्सा हालत से बचाव के लिए समुचित परामर्श जरूरी है। स्वास्थ्य रहन-सहन की आदत बचपन से ही डालनी होगी। विश्व के 7 प्रतिशत बच्चे स्थूल अथवा अधिक वजन के हैं। बचपन में स्थूलता बाद में स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा कर सकती है। संतुलित भोजन,शारीरिक गतिविधि तथा जीवन शैली प्रबंधन को बढ़ावा देना होगा। नवजात शिशुओं के लिए विशेष प्रयास जरूरी हैं क्योंकि जीवन के पहले चार सप्ताह, जिस दौरान पांच वर्ष से कम उम्र के 44 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु होती है, अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण हैं। सभी जगह जीवन रक्षक दवाओं और प्रक्रियात्मक विशेषज्ञता उपलब्ध होनी चाहिए। बीमारियों के होने तथा उनके फैलने से रोकने में स्वच्छता तथा सफाई की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत हम अगले पांच वर्षों के दौरान हर एक परिवार को पूर्ण स्वच्छता के तहत ले आएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनता द्वारा अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अपेक्षित चिकित्सा विधियों के विकास के लिए स्वास्थ्य संबंधी अनुसंधान जरूरी हैं। चिकित्सा के लिए मजबूत प्रणालियों के विकास के लिए अन्य विधाओं में प्राप्त ज्ञान का इसमें उपयोग जरूरी है। यह देखा गया है कि वैमानिकी, ऑटोमेशन तथा रोबोटिक्स में प्राप्त ज्ञान का किस तरह स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसलिए चिकित्सा अनुसंधान, चिकित्सा इलैक्ट्रॉनिक्स, सिस्टम्स जीव विज्ञान, बॉयोटैक्नोलॉजी, जीनोमिक्स, मैथमेटिकल सिमुलेशन तथा सूचना और संचार जैसी विभिन्न विधाओं का संगम होना चाहिए। उनहोंने जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान का आह्वान किया कि वह अपने अनुसंधान आधारित प्रकाशनों को समृद्ध करें, पेटेंट फाइल करें तथा भारतीय चिकित्सा प्रणालियों का समावेश करते हुए सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए मॉडल विकसित करें।
यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई।