भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 अक्तूबर, 2013) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारे इंजीनियरी संस्थानों द्वारा उद्यमिता पाठ्यक्रम पर और अधिक बल दिया जाना जरूरी है। व्यक्ति का कार्य नौकरी प्राप्त करने का ही नहीं नौकरी पैदा करने का भी होना चाहिए। यह संभवत: स्वयं के प्रति, अपनी योग्यता के प्रति, अपनी लगन और वास्तव में अपने प्रदर्शन के प्रति एक प्रकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना अपने पूर्वस्नातक विद्यार्थियों के लिए उद्यमिता पर गहन कार्यक्रम चला रहा है और एक विशिष्ट नवान्वेषण केंद्र के माध्यम से उनकी रचनात्मकता को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रहा है। इसे, आने वाले समय में इस अवसर का फायदा उठाते हुए इंजीनियरी कार्यक्रम इस प्रकार तैयार करने चाहिएं कि वह दूसरों के अनुकरण के लिए एक मॉडल बन जाएंगे।
राष्ट्रपति का कहना था कि वह बार-बार इस तथ्य पर जोर देते रहते हैं कि कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के सर्वोत्तम 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि हमारे पास योग्यता, शानदार शिक्षक और प्रतिभावान विद्यार्थी हैं। उनका कहना था कि हमें शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और उपलब्ध प्रौद्योगिक विकल्पों का प्रयोग करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण पर ध्यान देना चाहिए। यह शिक्षा की पहुंच तथा विद्यार्थियों के शिक्षण अनुभव को बढ़ाने की दोहरी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना इस बारे में और सुविधाएं निर्मित करेगा। उन्होंने कहा कि हमें अनुसंधान और नवान्वेषण पर बल देना चाहिए। इंटरनेट, मोबाइल टेलीफोनी, ई-चिकित्सा तथा ई-शिक्षा की सुविधाएं विश्व के समाजों में एक बड़ा बदलाव लेकर आई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि एम.आई.टी और हार्वर्ड जैसे विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों के विकास में पूर्व विद्यार्थियों की अहम भूमिका रही है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि इस संस्थान से स्नातक बनने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना के विद्यार्थी इससे जुड़े रहेंगे तथा भविष्य में सार्थक और उल्लेखनीय ढंग से इसके विकास में अपना योगदान करेंगे।
इस अवसर पर, बिहार के राज्यपाल, डॉ. डी.वाई. पाटिल तथा बिहार के मुख्यमंत्री, श्री नितीश कुमार भी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 2050 बजे जारी की गई।