भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 अक्तूबर 2014) को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में आचार्य तुलसी पर ‘तुलसी स्मृति ग्रंथ’ की प्रथम प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति ने डॉ. कर्ण सिंह से ग्रंथ प्राप्त किया जिन्होंने औपचारिक रूप से इसका लोकार्पण किया था।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने उन सभी लोगों की सराहना की जिन्होंने आचार्य तुलसी पर स्मृति ग्रंथ में योगदान किया अथवा उससे संबद्ध रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक में अंकित प्रत्येक शब्द आस्था का बिंदु है जिसे अनुयायियों को जीवनपर्यंत अपने हृदय में धारण करना चाहिए। इस आधुनिक समय में लोगों का जीवन अवसर और चुनौती,स्थायित्व और अस्थिरता दोनों का विषय है। उन्होंने कहा कि आचार्य की शिक्षाएं और ज्ञानपूर्ण उद्गार व्यक्तियों के नैतिक उत्थान तथा राष्ट्रों में बलिदानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ग्रंथ में निहित संदेशों का व्यापक प्रचार-प्रसार होगा तथा लोग इन्हें आत्मसात् करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि आचार्य महाश्रमण, जो ‘तेरापंथ’ के ग्यारहवें सर्वोच्च अध्यक्ष हैं,इस वर्ष नवम्बर में दिल्ली से एक अहिंसा यात्रा आरंभ कर रहे हैं। उन्होंने इस यात्रा की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।
यह विज्ञप्ति1320 बजे जारी की गई।