भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (26 नवम्बर 2014) वर्धा में शिक्षा मंडल के शताब्दी समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति जी ने स्वतंत्रता संग्राम में वर्धा के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्धा में इतिहास की अनुगूंज सुनाई देती है। यह स्वतंत्रता संग्राम के जज्बे से ओतप्रोत है। वर्धा को सादगी की शक्ति, विचारों की शक्ति, समर्पण की शक्ति तथा वर्धा के एक छोर पर स्थित सेवाग्राम में गांधीजी के आश्रम के लिए जाना जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्ता उन्मुख शिक्षा प्रणाली एक शक्ति संवर्धक है जो भारत का विश्व के एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में कायाकल्प कर देगी। भारत तथा उस विश्व का भविष्य, जिसका नेतृत्व करने की यह आशा रखता है, इसके युवाओं के हाथों में है। इसके युवाओं की जनसांख्यिकीय बढ़त से फायदा केवल ऐसे शैक्षणिक संस्थानों से उठाया जा सकता है जो सीखने का उपयुक्त माहौल प्रदान करने के प्रति खुद को समर्पित करें। संकाय की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारी अकादमिक संस्थाओं में उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा मिलना चाहिए। हमें ऐसी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है जिसमें गुणवत्ता प्रदान करने वालों को सहयोग मिले। हमें शिक्षा का उपयोग समावेशिता तथा सभी नागरिकों के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए करना होगा।
यह विज्ञप्ति1615 बजे जारी की गई।