भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (27 जून, 2014) भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के द्वितीय दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों को अधिक से अधिक विद्यार्थियों को विज्ञान की ओर आकर्षित करने तथा इस लगन को ठोस आजीविका विकल्पों में बदलने में प्रमुख भूमिका निभानी होगी। उन्हें विद्यार्थियों को ठोस संकल्पनात्मक
समझ तथा विश्लेषणात्मक आधार से सुसज्जित करना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि ‘अनुसंधान परिकल्पना दस्तावेज’ तथा भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, भोपाल की अन्य पहलों का लक्ष्य अगले बीस वर्षों में इस संस्थान को अपनी श्रेणी
में उच्चतम संस्थान बनने का है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रणाली में निरंतर ज्ञान के सर्जन की अपेक्षा रहती है और इसे केवल उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही सुगम बनाया जा सकता है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान इसी परिकल्पना के साथ स्थापित किए गए हैं। उनकी ऐसे उच्च क्षमता
के अनुसंधान केंद्रों के रूप में परिकल्पना की गई है जिनमें शिक्षा तथा बुनियादी विज्ञानों में शिक्षण पूरी तरह अत्यंत परिष्कृत अनुसंधान के साथ समायोजित हो जाए।
राष्ट्रपति ने प्रो. गोवर्धन मेहता को डीएससी (मानद) की उपाधि भी प्रदान की तथा नवान्वेषण प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
यह विज्ञप्ति 1910 बजे जारी की गई।