भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (27 दिसम्बर, 2015) हैदराबाद में भारतीय आर्थिक एसोसिएशन (आईईए) के 98वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बल दिया जाना चाहिए। परिणाम तभी सफल और संयुक्त होगा जब सबसे निचले दर्जे के व्यक्ति के स्तर में सुधार का परिणाम होगा, जैसा कि कल्याण अर्थशास्त्री कहा करते थे। भारत एक युवा देश है। कार्यकारी आयु समूह में हमारी सघन आबादी के साथ सरकार और नीति-निर्णायकों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे रोजगार सृजन सहित परिणाम उपलब्धि के लिए नीतियां बनाएं। उच्च दश्मक अथवा आबादी के निम्नतर भाग के हित में परिणाम कभी भी दीर्घकालिक और वांछनीय नहीं हो सकते। परिणाम को साम्य और सामाजिक न्याय के साथ संतुलित करना हमारी गणतांत्रिक सरकार की एक मूलभूत आवश्कता है। केवल आय विंगति की ही नहीं बल्कि उनके स्रोतों के भी सावधानीपूर्वक अध्ययन करने की आवश्यकता है। अर्थशास्त्रियों को यह कार्य तत्काल रूप से आरंभ करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पेरिस हरित प्रस्ताव अथवा घोषणा सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय रूप से स्थायी जीविका प्राप्त करने के लिए पर्यावरण के लिए अर्थप्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के नाते इन स्थायी विकासात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के प्रति भारत को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय आर्थिक एसोसिएशन के 98वे वार्षिक सम्मेलन की विवेचना विचारकों,व्यापार एसोसिएशनों और सरकार को भी महत्वपूर्ण नीति आदान-प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि आईईए की नियमित पारस्परिक क्रियाएं और आईईए के कार्यकलापों में भागीदारी भारतीय अनुसंधानकर्ताओं को एक मंच प्रदान करेंगे जिससे वे भारत और वैश्विक आर्थिक प्रबंधन में प्रासंगिक नीति निर्धारण कर सकें।
यह विज्ञप्ति1500 बजे जारी की गई।