भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (28 अगस्त, 2016) नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के 24वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने विधिक समुदाय विशेषकर विधि के विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें लोगों के अधिकार और कल्याण की लड़ाई में आगे आना चाहिए। नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी को सामयिक चुनौतियों से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए कि युवाओं में मातृभूमि के प्रति प्रेम, कर्तव्य निर्वहन, सभी के प्रति सहृदयता, सहिष्णुता, बहुलवाद, महिलाओं के प्रति सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आचरण में संयम, कार्य में दायित्व और अनुशासन के हमारे सभ्यतागत मूल्य पूर्णतः संचारित किए जाएं।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय मुद्दों पर विद्यार्थियों से पढ़ने, सीखने और विचार निर्मित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जागरूकतापूर्ण भागीदारी के बिना लोकतंत्र स्वस्थ नहीं बन सकता। समय-समय पर केवल मतदान करना ही काफी नहीं है, प्रभावी कार्यान्वयन की भी जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि उन्हें शासन और राष्ट्र से संबंधित सभी मुद्दों में भागीदारी के माध्यम से बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने हमारे सुंदर, जटिल, प्रायः मुश्किल तथा यदा-कदा कोलाहलपूर्ण लोकतंत्र से जुड़ने के लिए भी कहा। उन्होंने विधिक और राजनीतिक संस्थाओं को मजबूत और परिष्कृत करने में मदद के लिए भी कहा। उन्होंने उनसे कहा कि जो कुछ वे सीखे हैं उसे आगे हस्तांतरित करें तथा अन्य लोगों को उनके अधिकार और दायित्व समझने में सहायता करें। ऐसे बेहतर नागरिक तैयार करने में राष्ट्र की मदद करें जो हमारे देश और समाज द्वारा प्रस्तुत सभी अवसरों को प्राप्त करने में सक्षम बन सकें।
यह विज्ञप्ति 1240 बजे जारी की गई।