भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (28 नवंबर, 2016) नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार विधि आयोग की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन संबोधन दिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान के लिए एक अग्रणी स्थान के रूप में उभरने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि भारत में पंचायत प्रणाली के द्वारा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का एक लंबा इतिहास रहा है जिसके बाद स्वतंत्रता से पूर्व विवाचन से संबंधित अनेक कानून बने, तथा वर्ष 1996भारत में विवाचन के विकास और आधुनीकीकरण में महत्वपूर्ण रहा। विवाचन विवादों का समयबद्ध और न्यायपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने के लिए विवाचन और सुलह अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। पिछले महीने भारत में विवाचन और सुलह को मजबूत करने की दिशा में एक राष्ट्रीय पहल आरंभ की गई। प्रधानमंत्री ने भी यह घोषणा की कि एक सक्षम वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली भारत की एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है और हमें भारत को एक विवाचन केंद्र के रूप में विश्व भर में बढ़ावा देना चाहिए। राष्ट्रपति ने यह विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन के विचार-विमर्शों में अंतरराष्ट्रीय विवाचन और सुलह की उपयुक्त और सतत संस्कृति को प्रोत्साहित करने के तरीके खोजे जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों तथा इसके विशिष्ट कार्यक्रमों और एजेंसियों के विकास की अपनी प्रतिबद्धता के भाग के रूप में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार विधि आयोग का स्वर्णजयंती समारोह आयोजित करके खुशी हुई है। विधिक शासन के प्रति भारत की निष्ठा का यह श्रेष्ठ प्रमाण है कि भारत आठ देशों में से एक है जो शुरुआत से संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार विधि आयोग का सदस्य रहा है तथा हाल ही में वह छः वर्ष की अवधि के लिए पुनर्निवाचित हुआ है। भारत मानता है कि संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार विधि आयोग का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार की सुविधा से भी अधिक रहा है। वर्षों के दौरान इसके असाधारण कार्य ने महत्वपूर्ण विचार नेतृत्व प्रदान किया है जिसने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य और व्यापार दोनों में मदद करने के लिए अनेक घरेलू विधिक नियमों को परिवर्तित करने की प्रेरणा दी है।
यह विज्ञप्ति 1550 बजे जारी की गई।