आज (28 दिसंबर, 2012) को एस आर एम विश्वविद्यालय चैन्नै के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसी गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है जो अतंरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरे। असीमित मांग और सीमित संसाधनों के चलते यह जरूरी है कि निजी सेक्टर भी भारत में उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने में अधिक से अधिक योगदान दे। दुनिया भर के, विभिन्न देशों में उच्च शिक्षा में निजी सेक्टर ने प्रमुख भूमिका निभाई है। हार्वर्ड, येल तथा स्टान्फोर्ड जैसे बहुत से सबसे अच्छे विश्वविद्यालय निजी सेक्टर के प्रयासों का ही परिणाम हैं। इसलिए कोई कारण नहीं कि भारत का निजी सेक्टर भी इसी तरह के परिणाम क्यों नहीं प्राप्त कर सकता।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को लोगों को इस बात के लिए आश्वस्त करना होगा कि वे निजी लाभ के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कार्य नहीं कर कर रहे हैं बल्कि यह जन सेवा के लिए है। यह स्पष्ट मत है कि शिक्षा पर व्यवस्था पुनरावलोकन करने की जरूरत है जिससे भारत शैक्षणिक मानकों में कमी किए बिना अधिक लोगों को शिक्षित कर सके। हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार और परिवर्तन का उद्देश्य उसका प्रसार, उत्कृष्टता तथा समावेशिता होना चाहिए। यह जरूरी है कि निजी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए एक पारदर्शी ढांचा स्थापित किया जाए।