राष्ट्रपति भवन के नवान्वेषी विद्वान आवासीय कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रपति भवन में 12 मार्च, 2016 से दो सप्ताह के लिए आवासीय कार्यक्रम में सात नवान्वेषी विद्वानों का चयन किया गया है।
राष्ट्रपति भवन में ठहरने वाले नवान्वेषी हैं, कर्नाटक से श्री जी.के. रत्नाकर (नवान्वेषण: मिनि हाइड्रो टर्बाइन्स), जम्मू कश्मीर से श्री मुश्ताक अहमद दार (नवान्वेषण: वाल्नट क्रेकर),मिजोरम से श्री लाल बिएकजुला राल्टे (नवान्वेषण: बांस को चीरने वाला मशीन), आंध्र प्रदेश से श्री मल्लेशम लक्ष्मीनारायण चिंथाकिंडी (नवान्वेषण: लक्ष्मी आशु मेकिंग मशीन), गुजरात से श्री अम्रुत लाल बवंदास अग्रवाल (नवान्वेषण: आरुणी बुल्लक कार्ट और इन्नोवेटिक पुल्ले), आंध्र प्रदेश से सुश्री अनुराधा पाल (नवान्वेषण: ‘राइट बायोटिक’ एक एंटी बायोटिक फाइंडर) और असम से श्री स्वप्नानिल देबजीत तलुकदार (नवान्वेषण: फूट ऑपरेटेड मैनुअल पेज-टर्निंग मशीन)।
नवान्वेषी विद्वान आवासीय योजना राष्ट्रपति द्वारा 11 दिसम्बर, 2013 को नवान्मेष की भावना को बढ़ाने और आधारिक नवान्वेषी कार्यकलापों को अधिक बल देने के दृष्टिगत आरंभ की गई थी। योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति भवन में आधारिक नवान्वेषकों को उनके हाथ में आई परियोजना पर कार्य करने के लिए एक वातावरण देना और उनके नवान्मेषी विचारों को आगे ले जाना है। इसका उद्देश्य नवान्मेष संबंधी उनकी क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए तकनीकी संस्थाओं का चयनित नवान्मेषकों के साथ तारतम्य बनाना और सलाह और समर्थ देना भी है ताकि नवान्मेष को समाज की प्रगति और कल्याण के लिए उपयोग किया जा सके। 1 जुलाई से 20 जुलाई 2014 और 07-20 मार्च, 2015 में नवान्मेषक का पहला बैच और 10नवान्मेषक का दूसरा बैच क्रमश: नवान्मेषी विद्वान आवासीय कार्यक्रम के एक भाग के रूप में राष्ट्रपति भवन में रह चुके हैं।
यह विज्ञप्ति 1030 बजे जारी की गई।