भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी आज (29 अक्तूबर, 2015) राष्ट्रपति भवन में तृतीय भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे गणमान्यों का स्वागत किया तथा उनके सम्मान में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित राजभोज का आयोजन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और अफ्रीका एक दूसरे को इसलिए समझते हैं क्योंकि हमारे देश विविधता की सटीक परिभाषा हैं। चाहे किलिमंजारों की बर्फ से लेकर विस्तृत सहारा की भौगोलिक विविधता हो अथवा पंथों, जातीयताओं, जनजातियों, भाषाओं, बोलियों और संस्कृतियों का बाहुल्य हो, अफ्रीका के पास सब कुछ है। भारत में भी वास्तव में ऐसा है। अफ्रीका और भारत के लिए विविधता उनकी जीवन शक्ति है, यह हमें समृद्ध बनाती है तथा हमें और भी सशक्त बनाती है। यह सुनिश्चित करती है कि सहअस्तित्व, संवाद, आपसी सद्भावना और शांति हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं। ये मानव विकास के बारे में ऐसे दृष्टिकोण हैं जिनका भारत और अफ्रीका आदान-प्रदान करते हैं, ये ऐसे दृष्टिकोण हैं जिनके द्वारा हम टकराव और संकट से निपटने के लिए मिलकर शेष विश्व की मदद कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिखर सम्मेलन उस महत्त्व की अभिव्यक्ति है जो हम अफ्रीका के साथ अपने सम्बन्धों को देते हैं। इस मंच पर अफ्रीका के सभी देशों की सक्रिय सहभागिता हमारे राष्ट्रों और हमारी जनता के बीच एक स्थायी साझीदारी स्थापित करने की सदस्य देशों की आकांक्षा का प्रतिबिम्ब है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारी जनता के भविष्य की सामूहिक संकल्पना का निर्माण हमारे राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्ध की दिशा और रूपरेखा निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण होंगे। भारत और अफ्रीका के विश्व की एक तिहाई जनसंख्या का घर होने के कारण, विश्व के भावी सतत् विकास पर इस सम्बन्ध का निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा।
यह विज्ञप्ति 2300 बजे जारी की गई।